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Yoga Benefits: तनाव और जीवनशैली के कारण बिगड़ती पीरियड्स साइकिल, इन योगासन से मिलेगी राहत

महिलाओं की सबसे बड़ी परेशानी है पीरियड्स में होने वाली दिक्कतें। महिलाओं की सेहत में नियमित पीरियड्स साइकिल का होना बेहद अहम माना जाता है। लेकिन बदलती जीवनशैली, तनाव, थकान और गलत खानपान की वजह से अक्सर पीरियड्स समय पर नहीं आते।

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YBN News
MenstrualCycle

MenstrualCycle Photograph: (ians)

नई दिल्ली। महिलाओं की सबसे बड़ी परेशानी है पीरियड्स में होने वाली दिक्कतें। महिलाओं की सेहतमें नियमित पीरियड्स साइकिल का होना बेहद अहम माना जाता है। लेकिन बदलती जीवनशैली, तनाव, थकान और गलत खानपान की वजह से अक्सर पीरियड्स समय पर नहीं आते। यह समस्या केवल शारीरिक दिक्कतें ही नहीं लाती, बल्कि मानसिक रूप से भी महिलाओं को काफी परेशान करती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि योगासन जैसे भुजंगासन, सेतु बंधासन, सुप्त बद्धकोणासन और बालासन न केवल हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं, बल्कि शरीर को रिलैक्स करके तनाव भी कम करते हैं। इसके नियमित अभ्यास से पीरियड्स साइकिल बेहतर हो सकती है।

डॉक्टरों का कहना है कि संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और नियमित योगासन को दिनचर्या का हिस्सा बनाना महिलाओं के लिए लंबे समय तक फायदेमंद साबित हो सकता है।

सेतु बंधासन :-

 यह एक महत्वपूर्ण योगासन है जिसमें शरीर का आकार पुल जैसा बनता है। इसे ब्रिज पोज़ भी कहा जाता है। यह आसन रीढ़ की हड्डी, कमर, जांघ और सीने के लिए बेहद लाभकारी है।

करने की विधि-

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सबसे पहले पीठ के बल सीधे लेट जाएं।दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ें और एड़ी को कूल्हों के पास टिकाएं।दोनों हाथ शरीर के पास रखें और हथेलियां जमीन पर टिकी हों।अब सांस अंदर लेते हुए धीरे-धीरे कूल्हों और कमर को ऊपर उठाएं।शरीर का वजन कंधों, पैरों और हाथों पर रखें।ठोड़ी को छाती से लगाएं और शरीर को पुल जैसा आकार दें।इस अवस्था में 20–30 सेकंड रुकें और सामान्य सांस लेते रहें।धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए कमर को वापस जमीन पर लाएं और आराम करें। यह आसन थायराइड ग्रंथि को भी एक्टिव करता है, जो हार्मोन बैलेंस में अहम भूमिका निभाती है। साथ ही यह शरीर के निचले हिस्से, खासकर पेल्विक रीजन में ब्लड फ्लो को बढ़ाता है। इस आसन को करने से न सिर्फ पीरियड्स रेगुलर होते हैं, बल्कि ओवरी और यूट्रस भी मजबूत बनते हैं।

भुजंगासन :-

भुजंगासन योग की महत्वपूर्ण आसनों में से एक है।  इसे अंग्रेजी में कोबरा पोज कहा जाता है। क्योंकि इस आसन की स्थिति फन फैलाए हुए नाग की तरह दिखती है। यह आसन रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है और शरीर को ऊर्जावान करता है।

करने की विधि -

सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं। पैरों को सीधा रखें और पंजों को मिलाकर रखें।हथेलियों को कंधों के पास जमीन पर रखें, कोहनी शरीर से सटी हो।गहरी सांस लेते हुए धीरे-धीरे सिर, छाती और पेट का ऊपरी हिस्सा उठाएं।नाभि तक का भाग जमीन से सटा रहे। कोहनियों को थोड़ा मोड़कर रखें या पूरी तरह सीधा कर सकते हैं। 
सिर को पीछे की ओर ले जाएं और ऊपर देखें। सामान्य श्वास-प्रश्वास के साथ इस स्थिति में 15–30 सेकंड तक रहें।सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे वापस जमीन पर आ जाएं।
इसे 3–5 बार दोहराएं। इससे पेट और पेल्विक हिस्से पर खिंचाव आता है, जिससे वहां का ब्लड फ्लो बेहतर होता है। हार्मोनल ग्रंथियां एक्टिव होती हैं और पूरे प्रजनन तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। इस आसन से न सिर्फ पीरियड्स साइकिल सुधरती है, बल्कि पीरियड्स के दौरान होने वाला दर्द भी कम होता है।

तितली आसन-

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तितली आसन योग का एक सरल और उपयोगी आसन है, जिसमें पैरों की मुद्रा तितली के पंखों जैसी दिखाई देती है। इसे अंग्रेज़ी में बटरफ्लायपोज कहा जाता है। तितली आसन को संस्कृत में बद्ध कोणासन कहा जाता है। 

करने की विधि-

ज़मीन पर सीधे बैठें।दोनों पैरों को सामने फैला लें।अब घुटनों को मोड़कर दोनों पैरों के तलवों को आपस में मिला लें।एड़ियों को शरीर की ओर खींचकर जितना हो सके पास लाएं। हाथों से पैरों की उंगलियोंको पकड़ लें।अब धीरे-धीरे दोनों घुटनों को ऊपर-नीचे हिलाएं, जैसे तितली अपने पंख फड़फड़ाती है।यह क्रिया 2-5 मिनट तक करें और सामान्य श्वास-प्रश्वास लेते रहें।

इस अभ्यास से पेल्विक मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं और यूट्रस तक ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। अगर किसी महिला को लंबे समय से पीरियड्स नहीं आए हैं, तो इस आसन से मदद मिल सकती है। यह आसन गर्भाशय की सफाई और ताकत दोनों में असरदार होता है।
आयुष मंत्रालय के मुताबिक, योग करने से पेल्विक एरिया एक्टिव होता है, ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है, और हार्मोन बैलेंस रहता है।

(इनपुट-आईएएनएस)

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Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"

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