नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
एडीएचडी (ADHD) यानी अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसओर्डर एक मानसिक बीमारी है। इस रोग से पीडि़त व्यक्ति की मौत अन्य की तुलना में जल्द हो जाती है। हाल ही में शोधकर्ताओं के द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। एडीएचडी से पीडि़त पुरुष औसतन सात साल कम जीते हैं और इससे महिलाओं की मौत 9 साल पहले ही हो जाती है।
यूके में किए अध्ययन में सामने आए नतीजे
ब्रिटिश जर्नल ऑफ साइकियाट्री में प्रकाशित शोध पत्र में बताया गया है कि इससे लाइफ स्पैन कम हो जाता है और मानसिक समस्याओं का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। यूके में 30,000 लोगों पर किए एक शोध में यह बात सामने आई है कि पूरी दुनिया में 3-4 प्रतिशत लोग एडीएचडी रोग से पीडि़त हैं। यह रोग महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करता है। आने वाले समय में यह रोग जीवनकाल को और भी कम कर सकता है। इससे पुरुषों की मौत 9 साल पहले और महिलओं की मौत 11 साल पहले ही हो सकती है।
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प्रमुख शोधकर्ता डॉ. लिज़ ओ'नियंस ने कहा कि ‘ इस अकाल मृत्यु के पीछे का कारण जानने की कोशिश कर रहे हैं ताकि भविष्य में इसके बढ़ते खतरे को कम किया जा सके। ‘ हालांकि कई रिपोर्ट में यह भी बताया गया है इसके कई रोगी अपनी पूरी उम्र जी लेते हैं, लेकिन इन रोगियों का औसतन जीवन कम ही है।
क्या है एडीएचडी
यह एक विकासत्मक विकार है। इस रोग से पीडि़त लोग कई तरह की परेशानियों का सामना करते हैं। जैसे-
- इससे इंसान सही से फोकस नहीं कर पाता है।
- लोगों में अधिक बैचेनी रहती है
- बेकार में इधर-उधर घूमना
- जरूरत से ज्यादा बातें करना
- किसी को बातचीत के दौरान बीच में ही टोक देना
- इंतजार करने में कठिनाई होना
आमतौर पर यह बचपन में ही ठीक हो जाता है, लेकिन कई बार इसके प्रभाव लंबे समय तक रहते हैं। एडीएचडी से लोगों में न्यूरोट्रांसमीटर इमबैलेंस हो जाते हैं। दिमाग में डोपामाइन एक प्रमुख न्यूरोट्रांसमीटर है। एडीएचडी डिप्रेशन जैसे मानसिक रोगों को भी जन्म दे सकता है। जीवन शैली में बदलाव और कुछ दवाइयों के प्रयोग से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
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