वाईबीएन नेटवर्क।
आज की ज़िंदगी में आराम को हम सुख मान बैठे हैं, लेकिन जब शरीर लगातार ढीली मुद्रा में रहता है, तो उसके अंग धीरे-धीरे निष्क्रिय हो जाते हैं। असली सेहत सक्रिय जीवन, संतुलित शरीर और धरती से जुड़ाव में छुपी है।
आराम का सही मतलब
जब हम भरपेट खाने के बाद कुर्सी पर बैठते हैं या कार की आरामदायक सीट पर लंबे समय तक यात्रा करते हैं, तो यह आराम नहीं, शरीर के लिए बोझ बन जाता है। ऐसी स्थिति में अंग सुचारु रूप से काम नहीं कर पाते, जिससे जीवन ऊर्जा घटने लगती है।
सीधा ढांचा, स्वस्थ तन
रीढ़ को सीधा रखना जरूरी है। इसका मतलब यह नहीं कि आराम त्याग दिया जाए, बल्कि जब शरीर का ढांचा संतुलन में रहता है, तभी असली आराम मिलता है। झुकी मांसपेशियां कभी शरीर को शांति नहीं दे सकतीं।
धरती से संपर्क है प्राकृतिक इलाज
कई जगहों पर देखा गया है कि रोगियों को खुले में बागवानी जैसे कामों में लगाया जाता है। नंगे हाथों से मिट्टी का स्पर्श, सुबह की धूप और हरियाली में काम करने से शरीर खुद को ठीक करना शुरू कर देता है।
शरीर है धरती का अंश
यह शरीर भी इसी धरती का एक टुकड़ा है। जितना अधिक यह धरती से जुड़ा रहेगा, उतना बेहतर और सक्रिय रहेगा। कृत्रिम वातावरण में, ऊंची इमारतों और बंद कमरों में जीना शरीर और मन दोनों के लिए नुकसानदायक है।