ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) एक आम और दीर्घकालिक अस्थि-विकार है, जो मुख्यतः जोड़ों के कार्टिलेज (उपास्थि) के क्षरण के कारण होता है। यह स्थिति सामान्यतः घुटनों, कूल्हों, हाथों और रीढ़ के जोड़ों को प्रभावित करती है। दर्द, सूजन, जकड़न और गतिशीलता में कमी इसके मुख्य लक्षण हैं। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, ऑस्टियोआर्थराइटिस का जोखिम भी बढ़ता है। आधुनिक चिकित्सा में इसके लिए दर्दनाशक दवाइयाँ और शल्य चिकित्सा (सर्जरी) जैसे विकल्प उपलब्ध हैं, परंतु प्राकृतिक चिकित्सा (Nature Cure) और योगिक अभ्यासों के माध्यम से भी इस रोग का प्रभावी प्रबंधन संभव है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस का वैज्ञानिक आधार
ऑस्टियोआर्थराइटिस में जोड़ों की उपास्थि धीरे-धीरे घिसने लगती है, जिससे हड्डियाँ आपस में रगड़ने लगती हैं। परिणामस्वरूप दर्द, सूजन और अस्थिरता पैदा होती है। साथ ही, जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों में भी कमजोरी आ सकती है, जिससे गतिशीलता और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है। HEALTH | get healthy | get healthy body | Digital health care | breaking health update
प्रमुख जोखिम कारक:
- बढ़ती उम्र
- मोटापा
- जोड़ों पर अत्यधिक भार या चोट
- आनुवांशिक प्रवृत्ति
- असंतुलित आहार एवं निष्क्रिय जीवनशैली
- प्राकृतिक चिकित्सा (Nature Cure) द्वारा प्रबंधन
- प्राकृतिक चिकित्सा शरीर की स्वचालित उपचार क्षमता को सक्रिय करने पर आधारित है। ऑस्टियोआर्थराइटिस में निम्नलिखित प्राकृतिक
- उपाय उपयोगी सिद्ध होते हैं:
ताजे फल, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, अंकुरित अनाज और प्राकृतिक वसा (जैसे अलसी के बीज, अखरोट) शामिल करें।