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इससे इंसान को भ्रम की बीमारी हो जाती है
नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
आपने सभी ने ‘ लगे रहे मुन्ना भाई ’ फिल्म तो देखी Sही होगी, जिसमें संजय दत्त गांधी जी से बात करते रहते हैं। हालांकि वो गांधी जी सिर्फ संजय दत्त को ही दिखाई देते हैं। फिल्म के आखिर में पता चलता है कि संजय दत्त को कोई बीमारी है। इसी वजह से ये सब हो रहा है। आपको बता दें कि संजय दत्त को ‘ सिजोफ्रेनिया ’ नाम की बीमारी थी। हो सकता है ये नाम आपने पहले कभी ना सुना हो। यह एक मानसिक बीमारी है, जो मुख्य तौर पर न्यरो सिस्टम को प्रभावित करती है।
क्या है सिजोफ्रेनिया
सिजोफ्रेनिया से पीडि़तों में कॉन्ट्रास्ट की समझ कम हो जाती है। इससे वे तेज रोशनी और चीजों की बनावट में अन्तर नहीं कर पाते हैं। यह कमी ग्लूटामेट न्यूरोट्रांसमिशन में कमी के कारण होती है, जो इस बीमारी में एक प्रमुख न्यूरो सिस्टम है। सिज़ोफ्रेनिया पूरी दुनिया की लगभग 1% आबादी को प्रभावित करता है। बार्सिलोना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों में कंट्रास्ट की कमी की पहचान की है।
शोधकर्ताओं ने 600 से अधिक अध्ययन में पाया कि इससे व्यक्ति में किसी चीज को पहचान करने या समझने में तकलीफ होती है।
इस बीमारी के लक्षण
- ऐसी चीज़ें सुनना, देखना, सूँघना, छूना या महसूस करना जो वहाँ नहीं हैं
- इससे व्यक्ति आभासी दुनिया में जीने लगता है।
- अजीब बातें,विचार करना या भाषण देना
- ऐसे काम करना जो विचित्र या लगते हों
- इससे आनंद की अनुभूति नहीं होती है
कारण
इस बीमारी के सामान्य लक्षणों के अन्तर्गत भ्रम होना, उत्तेजना में कमी होना, रंगों की पहचान न कर पाना आदि लक्षण आते हैं।
इलाज - उपचार में एंटीसाइकोटिक दवाएं, सलाह और देखभाल करने से इससे मदद मिल सकती है।
महान अमेरिकी गणतज्ञ को जॉन नैश, जिन्हें नोबल पुरुस्कार से नवाजा गया था। इनको भी सिजोफ्रेनिया की बीमारी थी।
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