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Schizophrenia: सिजोफ्रेनिया किस कारण होता है? यह एक गंभीर मानसिक रोग है, जिससे दुनियाभर में दो करोड़ से अधिक लोग पीड़ित हैं और इस बीमारी के लक्षणों में बार-बार होने वाला मतिभ्रम शामिल है। सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक विकार है जिससे व्यक्ति की सोच, भावनाएं, और व्यवहार प्रभावित होते हैं। get healthy | HEALTH | Health Advice | get healthy body | Digital health care
सिजोफ्रेनिया क्यों होता है?
वर्तमान सिद्धांतों से पता चलता है कि यह मनुष्य के वयस्क होने के शुरूआती दौर में मस्तिष्क के विकास में परिवर्तन से संबद्ध हो सकता है। सिजोफ्रेनिया को डिस्लेक्सिया, ‘ऑटिज्म और अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर’ (एडीएचडी) जैसी स्थितियों के समान माना जाता है। हालांकि, शोध बताता है कि मस्तिष्क का तेजी से बूढ़ा होना सिजोफ्रेनिया के विकास का एक अन्य संभावित कारण हो सकता है और इसे एक साधारण रक्त जांच का इस्तेमाल करके मापा जा सकता है।
क्या हैं लक्षण
सिजोफ्रेनिया से पीड़ितों के रक्त में प्रोटीन को मापा जो सीधे मस्तिष्क के न्यूरॉन्स-मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं -से प्राप्त होते हैं। ‘न्यूरोफिलामेंट लाइट प्रोटीन’ (एनएफएल) नामक यह प्रोटीन लंबी, धागे जैसी संरचनाओं से बना होता है जो तंत्रिका कोशिकाओं के आकार और आकृति को बनाए रखने में मदद करता है। एनएफएल के बढ़े हुए स्तर को कई तरह की तंत्रिका संबंधी स्थितियों से जोड़ा गया है, जिनमें अल्जाइमर रोग, मल्टीपल स्केलेरोसिस, पार्किंसंस रोग और फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया शामिल हैं।
एनएफएल का स्तर भी उम्र के साथ बढ़ता है
एनएफएल का स्तर भी उम्र के साथ बढ़ता है, क्योंकि ये प्रोटीन खुद को प्रभावी ढंग से ठीक करने की क्षमता खो देते हैं। स्वस्थ मस्तिष्क की उम्र बढ़ने के लक्षणों में थोड़ा अधिक भूलने की आदत, धीमी प्रतिक्रिया समय और कई कार्यों को एक साथ करने में कठिनाई शामिल हो सकती है। ऐसे बदलाव सिजोफ्रेनिया जैसी बीमारियों में देखे जाने वाले लक्षणों से बहुत भिन्न हैं।
मस्तिष्क की आयु की गणना
शोध में पाया गया कि, सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों में एनएफएल का स्तर स्वस्थ लोगों की तुलना में उम्र बढ़ने के साथ अधिक तेजी से बढ़ता है, जो मस्तिष्क के बूढ़े होने की प्रक्रिया में तेजी आने का संकेत देता है। एमआरआई स्कैन से ‘‘मस्तिष्क की आयु’’ की गणना करने जैसे अन्य तरीकों से प्राप्त डेटा भी सिजोफ्रेनिया वाले लोगों में मस्तिष्क के तेजी से बूढ़े होने की ओर इशारा करता है।
क्रोनिक सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोग
जीवनशैली कारक सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों के लिए, तेजी से उम्र बढ़ना पहले से ही एक गंभीर समस्या है, जैसा कि मेलबर्न के मनोचिकित्सक और अध्ययन के वरिष्ठ लेखक क्रिस्टोस पेंटेलिस बताते हैं: एक महत्वपूर्ण समस्या यह है कि क्रोनिक सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोग अक्सर समग्र रूप से अस्वास्थ्यकर जीवनशैली वाले होते हैं। वे अकेलेपन, बेरोजगारी, शारीरिक गतिविधियों की कमी का सामना करते हैं।
ध्रूमपान से बढ़ती है समस्या
धूम्रपान करते हैं और मादक पदार्थों का सेवन करते हैं जो उनकी स्थिति को और खराब कर सकता है। वर्तमान में, सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों की जीवन प्रत्याशा औसत से 20-30 वर्ष कम होती है। हालांकि, जीवनशैली सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों के शरीर की उम्र बढ़ने में तेजी लाने का एक कारक है, लेकिन हमारा अध्ययन इस कष्टदायक बीमारी को समझने और समय रहते उसका इलाज करने में एक और महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
उपचार और जीवनशैली
दवा: एंटीसाइकोटिक दवाएं सिज़ोफ्रेनिया उपचार की आधारशिला हैं, जो मतिभ्रम, भ्रम और अव्यवस्थित सोच जैसे लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं। ये दवाएं संतुलन बहाल करने और लक्षण की गंभीरता को कम करने के लिए मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर को लक्षित करके काम करती हैं।
थेरेपी : मनोचिकित्सा, जैसे संज्ञानात्मक-व्यवहार थेरेपी (सीबीटी/CBT) और सहायक चिकित्सा, व्यक्तियों को उनकी स्थिति को बेहतर ढंग से समझने, मुकाबला करने की रणनीति विकसित करने और सामाजिक और संचार कौशल में सुधार करने में मदद करके दवा उपचार को पूरक कर सकती है।
सहायता सेवाएं: सिज़ोफ्रेनिया वाले व्यक्तियों के लिए एक मजबूत समर्थन नेटवर्क बनाना महत्वपूर्ण है। सहकर्मी सहायता समूह, पारिवारिक चिकित्सा और केस प्रबंधन सहित सहायता सेवाएँ, मूल्यवान भावनात्मक समर्थन, व्यावहारिक सहायता और सामुदायिक संसाधन प्रदान कर सकती हैं।
जीवनशैली में बदलाव: नियमित व्यायाम, संतुलित पोषण, पर्याप्त नींद और तनाव प्रबंधन तकनीकों जैसी स्वस्थ जीवनशैली की आदतों को अपनाने से समग्र स्वास्थ में मदद मिल सकती है और सिज़ोफ्रेनिया के लिए चिकित्सा उपचार को पूरक बनाया जा सकता है।