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फेस स्ट्रोक का संकेत: अचानक चेहरा टेढ़ा होना या अर्धांग वायुरोग होने पर करें ये उपाय, शुरुआती कुछ घंटे बेहद अहम

चेहरे का टेढ़ा होना, बोलने में कठिनाई या शरीर के एक हिस्से में कमजोरी महसूस होना स्ट्रोक या अर्धांग वायुरोग के प्रमुख संकेत हैं। यह स्थिति तब होती है जब मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।

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YBN News
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facestroke Photograph: (ians)

नई दिल्ली। अचानक चेहरे का टेढ़ा होना, बोलने में कठिनाई या शरीर के एक हिस्से में कमजोरी महसूस होना स्ट्रोक या अर्धांग वायुरोग के प्रमुख संकेत हैं। यह स्थिति तब होती है जब मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि शुरुआती कुछ घंटे इलाज के लिए बेहद अहम होते हैं। हाई ब्लड प्रेशर, मधुमेह, मोटापा और धूम्रपान स्ट्रोक के मुख्य कारणों में शामिल हैं। समय पर उपचार से गंभीर नुकसान से बचा जा सकता है।

जानकारी हो कि अगर अचानक आपका चेहरा टेढ़ा हो जाए, होंठ या आंख का हिस्सा हिलना बंद कर दे या मुस्कुराते समय चेहरा एक तरफ झुक जाए, तो यह फेस स्ट्रोक का संकेत हो सकता है। आयुर्वेद में इसे अर्धांग वायुरोग कहा गया है। इसमें चेहरे की नस प्रभावित हो जाती है और चेहरे की एक तरफ की मांसपेशियां ढीली पड़ जाती हैं। 

मुख्य कारण

मालूम हो कि फेस स्ट्रोक के मुख्य कारणों में वात दोष का असंतुलन, ठंडी हवा, अनियमित दिनचर्या, तनाव और अधिक शारीरिक परिश्रम शामिल हैं। इसके अलावा, नसों में रक्त प्रवाह की बाधा, वायरल संक्रमण, डायबिटीज, हाई बीपी, स्ट्रोक या नींद की कमी भी जिम्मेदार हो सकती हैं।

इसकी पहचान

इसकी पहचान चेहरे का एक तरफ झुकना, होंठों से हवा न निकल पाना, आंखें पूरी तरह बंद न होना, स्वाद में कमी, सुन्नपन, झनझनाहट और बोलने में अस्पष्टता से की जा सकती है।

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ठीक करने के उपाय

आयुर्वेद में इसे ठीक करने के कई उपाय बताए गए हैं। सबसे पहले अभ्यंग (तेल मालिश) बेहद फायदेमंद है। महानारायण तेल, तिल तेल या दशमूल तेल से हल्की मालिश करने से रक्त प्रवाह सुधरता है और मांसपेशियां सक्रिय होती हैं। रोजाना सुबह या स्नान से पहले 10-15 मिनट की मालिश करनी चाहिए। दूसरा उपाय है नस्य उपचार, जिसमें अनुतैलम या शद्विंदु तेल की 2-2 बूंदें दोनों नासिका छिद्र में डालने से मस्तिष्क तक रक्त प्रवाह बढ़ता है और नसें मजबूत होती हैं। स्वेदन यानी भाप चिकित्सा से जकड़ी नसें खुलती हैं और सुन्नपन कम होता है।

वहीं गंभीर मामलों में पंचकर्म चिकित्सा जैसे बस्ती (औषधीय एनिमा), शिरोधारा और नस्य मिलाकर तंत्रिकाओं को पुनर्जीवित किया जा सकता है। इसके अलावा, हर्बल औषधियां जैसे अश्वगंधा चूर्ण, रसनादि कषाय, योगराज गुग्गुलु और बलारिष्ट नसों की शक्ति बढ़ाने और सूजन कम करने में मदद करती हैं। 

आहार में

इसके अलावा, आहार में गर्म, ताजा और सुपाच्य भोजन लें। मूंग दाल, घी, दूध, तिल, बादाम, हरी सब्जियां, अदरक, लहसुन और हल्दी शामिल करें। ठंडी चीजें, बर्फ, कोल्ड ड्रिंक, जंकफूड और अधिक मसाले या तैलीय पदार्थ न खाएं। गुनगुने पानी से चेहरे की हल्की सिकाई करें, दिन में दो बार अदरक और तुलसी का काढ़ा पिएं, नींद पूरी लें और तनाव कम रखें।

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योग और प्राणायाम भी उपयोगी हैं। मुख व्यायाम जैसे मुस्कुराना, होंठ फुलाना, आंखें बंद-खोलना, भ्रामरी प्राणायाम और अनुलोम-विलोम रक्त प्रवाह और नसों की क्रियाशीलता बढ़ाते हैं। सिंहासन चेहरे की मांसपेशियों को सक्रिय करता है।

 (इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"

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