वाईबीएन नेटवर्क।
पहले हुए एच1एन1 फ्लू संक्रमण से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सकती है और एच5एन1 बर्ड फ्लू की गंभीरता कम हो सकती है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। यह अध्ययन ‘इमर्जिंग इनफेक्शियस डिजीजेस’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है और यह बता सकता है कि अमेरिका में सामने आए एच5एन1 संक्रमण के अधिकतर मामलों में लोग गंभीर रूप से बीमार क्यों नहीं हुए।
पहले से मौजूद Imunity संक्रमण की गंभीरता को करती है प्रभावित
पिट्सबर्ग और एमोरी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने यह जानने के लिए शोध किया कि वायरस इंसानों के बीच कैसे फैलता है। उन्होंने फेरेट पर अध्ययन किया और पाया कि पहले से मौजूद इम्युनिटी संक्रमण की गंभीरता को प्रभावित करती है। जिन फेरेट में पहले से एच1एन1 फ्लू के खिलाफ इम्युनिटी थी, वे एच5एन1 संक्रमण से बच गए, जबकि जिनमें यह इम्युनिटी नहीं थी, वे ज्यादा गंभीर रूप से बीमार पड़े और कई की मौत हो गई।
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इस कारण फैलती है हर Flu महामारी
पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय की शोधकर्ता वैलेरी ले सेज ने कहा, "हर फ्लू महामारी पहले से मौजूद प्रतिरक्षा के प्रभाव में फैलती है।" उन्होंने यह भी बताया कि भले ही इंसानी शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली जटिल होती है, लेकिन इस अध्ययन से हमें काफी जानकारी मिल सकती है। फेरेट का फ्लू संक्रमण का असर इंसानों जैसा ही होता है- उन्हें बुखार आता है, छींक आती हैं और नाक बहती है।
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H1N1 Flu से संक्रमितों में मिले ये लक्षण
अध्ययन में यह भी पाया गया कि जिन फेरेट को पहले एच1एन1 फ्लू हो चुका था, वे एच5एन1 संक्रमण से बच गए। हालांकि, उनके फेफड़ों को नुकसान पहुंचा था, लेकिन उनके लक्षण हल्के रहे, बुखार कम हुआ और उनका वजन भी कम नहीं हुआ। इसके विपरीत, जिनमें पहले कोई इम्युनिटी नहीं थी, उनमें तेज बुखार, अधिक वजन गिरना और शरीर में वायरस के व्यापक प्रसार के लक्षण दिखे। पहले हुए संक्रमण से मिली इम्युनिटी ने नेवलों को वायरस को जल्दी खत्म करने में मदद की और संक्रमण को केवल सांस की नली तक सीमित रखा। जबकि जिनके शरीर में कोई पूर्व इम्युनिटी नहीं थी, उनमें वायरस दिल, जिगर और तिल्ली तक फैल गया। यह अध्ययन बताता है कि महामारी के खतरे का आकलन करते समय पहले से मौजूद इम्यूनिटी को ध्यान में रखना जरूरी है।