नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
असम के चाय बागानों में काम करने वाले मजदूरों में एक नई बीमारी के खतरे की आशंका जताई गई है। ये बीमारी उन लोगों में हो रही है, जो पहले से ही टीबी से पीडि़त थे। शोधकर्ता इसको फंगल इनफैक्शन का नाम दे रहे हैं। इससे पहले इन मजदूरों में ड्राप्सी बीमारी भी पाई गई थी। फंगल इनफैक्शन लोगों के फेफडों को टारगेट करता है।
असम के ब्रह्मपुत्र और बराक घाटियों में रहने वाले इन बागान मजदूरों में लम्बे समय से टीबी रोग की समस्या रही है। National TB Prevalence Survey की एक रिपोर्ट के मुताबिक 100,000 लोगों में से 217 में टीबी की बीमारी पाई गई है। इसके कई कारण बताए गए हैं। जैसे खराब खान-पान, रसोई का धुआं और टीबी संक्रमित व्यक्तियों के सम्पर्क में आने से।
टीबी पीडितों को अधिक खतरा
डिब्रूगढ़ में असम मेडीकल कॉलेज और अस्पताल के शोधकर्ताओं ने क्रोनिक पल्मोनरी एस्परगिलोसिस (सीपीए) पर एक शोध किया। जिसमें पाया गया कि यह बीमारी एस्परगिलस फ्यूमिगेटस नामक फंगस के कारण फैलती है। यह बीमारी उन लोगों पर ज्यादा असर करती है, जिनका इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होती है या फिर जो लोग टीबी से पीडित हैं। यह बैक्टीरिया फेफडों को कमजोर करता हैं। इसके लक्षण टीबी की तरह ही होते हैं।
शोधकर्ताओं की एक टीम ने डिब्रूगढ़ के तीन चाय बागान अस्पतालों में जाकर 128 पीडित मरीजों की जांच की। जांच में पाया गया कि इन लोगों में लगभग तीन महीने से खांसी, हेमोप्टाइसिस (खून की खांसी) , थकान, वजन में कमी और सांस सम्बंधी रोग जैसे लक्षण पाए गए और यह बीमारी एक साल में लगभग 18 फीसदी तक बढ़ गई।
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अफ्रीकी देशों से भी ज्यादा हालात खराब
अफ्रीका में सीपीए पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया कि इससे पीडित मरीजों की औसत आयु लगभग 42 साल थी। यह रोग मीडियम एज के लोगों में अधिक पाया गया।
धूम्रपान का सेवन भी इस रोग का कारण हो सकता है, लेकिन केन्या में धूम्रपान न करने वाले लोगों में सीपीए अधिक पाया गया। असम में सीपीए रोग की स्थिति नाइजीरिया, कांगो जैसे देशों से भी ज्यादा खराब है।
ड्रॉप्सी – इस रोग के कारण शरीर के टिश्यू में सूजन आ जाती है
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