Advertisment

ट्रेडिशनल तौर पर फर्मेंटेड फूड विविध आबादी को स्वस्थ रखने में हेल्प कर सकता है: रिसर्च

सरकार ने गुरुवार को बताया कि फर्मेंटेड फूड पर किए गए एक हालिया अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि इनमें मौजूद बायोएक्टिव पेप्टाइड्स का असर अलग-अलग आबादी पर अलग होता है।

author-image
YBN News
food

food Photograph: (ians)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

नई दिल्ली, ईएएनएस। सरकार ने गुरुवार को बताया कि फर्मेंटेड फूड पर किए गए एक हालिया अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि इनमें मौजूद बायोएक्टिव पेप्टाइड्स का असर अलग-अलग आबादी पर अलग होता है। इन नतीजों से भारत की विविध जनसंख्या के लिए व्यक्तिगत पोषण रणनीतियां बनाने का रास्ता खुल सकता है।

पारंपरिक किण्वित भोजन

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान, गुवाहाटी स्थित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उन्नत अध्ययन संस्थान (आईएएसएसटी) द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पारंपरिक किण्वित भोजन के स्वास्थ्य लाभों पर जोर दिया गया है।

उन्होंने दिखाया कि इनमें मौजूद बायोएक्टिव पेप्टाइड्स (बीएपी) या 2 से 20 अमीनो एसिड वाले छोटे प्रोटीन अंश, रक्तचाप, रक्त शर्करा, प्रतिरक्षा और सूजन को नियंत्रित कर सकते हैं।

शोध फूड केमिस्ट्री

यह शोध फूड केमिस्ट्री में प्रकाशित हुआ है। आईएएसएसटी के लेखक एवं निदेशक प्रोफेसर आशीष के. मुखर्जी के नेतृत्व में, डॉ. मलोयजो जॉयराज भट्टाचार्य, डॉ. आशीष बाला और डॉ. मोजिबर खान ने मिलकर इस शोध को किया है। इस अध्ययन से पता चला है कि दही, इडली, मिसो, नट्टो, किमची और फर्मेंटेड मछली जैसे खाद्य पदार्थों में इन पेप्टाइड्स की उच्च मात्रा होती है।

Advertisment

किण्वन (फर्मेंटेशन) के दौरान बनने वाले ये छोटे पेप्टाइड्स, इलेक्ट्रोस्टैटिक बलों, हाइड्रोजन बॉन्डिंग और हाइड्रोफोबिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से जैव-अणुओं के साथ परस्पर क्रिया करके रोगाणुरोधी, उच्च रक्तचाप रोधी, एंटीऑक्सीडेंट और प्रतिरक्षा-संशोधक प्रभाव डालते हैं।

डेटा विविध भारतीय आबादी के लिए

यह हृदय क्रिया, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया और चयापचय स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, आनुवंशिक बहुरूपता, आंत माइक्रोबायोटा संरचना, आहार संबंधी आदतों और स्वास्थ्य स्थितियों के कारण इनकी जैव उपलब्धता और प्रभावशीलता विभिन्न आबादी में भिन्न होती है।

अनुकूलित सटीक पोषण

विज्ञानऔर प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार, यह डेटा विविध भारतीय आबादी के लिए अनुकूलित सटीक पोषण और लक्षित स्वास्थ्य हस्तक्षेपों की आवश्यकता पर बल देता है। शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि पारंपरिक किण्वित खाद्य पदार्थों को जन स्वास्थ्य कार्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए और ग्रामीण खाद्य प्रणालियों में ‘ओमिक्स-आधारित’ अनुसंधान को बढ़ावा देकर भारत को व्यक्तिगत पोषण में अग्रणी बनाया जा सकता है। get healthy | get healthy body | Haryana health crisis not present 

get healthy get healthy body HEALTH Haryana health crisis
Advertisment
Advertisment