/young-bharat-news/media/media_files/2025/02/11/lrCRf8x9V9PgGBOeoqkM.jpg)
पूरी दुनिया में 1 बिलियन से अधिक लोग मोटापे और टाइप 2 के डायबिटीज से पीडित हैं। इससे मेटाबॉलिज़्म में परेशानी हो जाती है। समय के साथ – साथ ये परेशानी बढ जाती है और इससे हृदय रोग का खतरा बढ जाता है। इन सब का कारण हमारी जीवनशैली और भोजन होता है और इसका कनेक्शन पेट के बैक्टीरिया से होता है। हमारे शरीर में आतों में एक बैक्टीरिया पाया जाता है, इसे गट बैक्टीरिया कहा जाता है। यह हमारे शरीर को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ये बैक्टीरिया हमारे भोजन और जेनेटिक द्वारा निर्धारित होता है।
यह भी पढें: दिमाग में घर बनाता Plastic, 50 प्रतिशत तक बढ गई इसकी मात्रा
गट बैक्टीरिया और बीमारी
हमारे पेट के बैक्टीरिया शरीर के मेटाबॉलिज़्म को प्रभावित करते हैं। इससे भोजन से मिलने वाली कैलौरी और पोषक तत्व का निर्धारण होता है। बहुत ज़्यादा पेट के बैक्टीरिया आपको फाइबर को फैटी एसिड में बदलने के लिए मजबूर कर सकते हैं। इससे लीवर में वसा जमा हो सकती है, जिससे "मेटाबोलिक सिंड्रोम" नामक रोग हो सकता है। ये आने वाले समय में टाइप 2 मधुमेह , हृदय रोग और मोटापे का कारण बनती है।
गट यानि आंत के बैक्टीरिया क्या हैं
हमारे पेट के अंदर 300 से 500 तरह के बैक्टीरिया रहते हैं जिनमें करीब 2 मिलियन जीन होते हैं। वायरस और फंगस जैसे दूसरे छोटे जीवों के साथ मिलकर वे माइक्रोबायोटा या माइक्रोबायोम बनाते हैं। फिंगरप्रिंट की तरह, हर व्यक्ति का माइक्रोबायोटा अलग होता है। शरीर में बैक्टीरिया का मिश्रण हर किसी के मिश्रण से अलग होता है। यह आंशिक रूप से माँ के माइक्रोबायोटा , हमारे आस- पास का वातावरण, आहार और जीवनशैली से निर्धारित होता है।
बैक्टीरिया पूरे शरीर में रहते हैं, लेकिन आपके पेट में मौजूद बैक्टीरिया स्वास्थ्य पर सबसे ज़्यादा असर डाल सकते हैं। वे पूरे पाचन तंत्र में मौजूद होते हैं। ज़्यादातर बैक्टीरिया आंतों और कोलन में रहते हैं। ये इंसान के मूड से लेकर उसकी इम्यूनिटी तक को प्रभावित कर सकते हैं।
यह भी पढें: Depression से छुटकारा दिला सकता है Carbohydrate से भरपूर भोजन