/young-bharat-news/media/media_files/2025/11/22/sesameoil-2025-11-22-13-38-48.jpg)
SesameOil Photograph: (ians)
नई दिल्ली। सर्दी के मौसम में त्वचा को रूखेपन और बेजान होने से बचाने के लिए तिल का तेल एक बेहतरीन और किफायती उपाय है। आयुर्वेद में इसे 'त्वचा का अमृत' कहा जाता है, जो महंगे मॉइस्चराइजर से कहीं बेहतर लाभ देता है। तिल का तेल विटामिन ई, एंटीऑक्सीडेंट्स और ओमेगा फैटी एसिड्स से भरपूर होता है, जो त्वचा को गहराई तक नमी देता है। यह तेल भारी होने के कारण त्वचा पर एक सुरक्षात्मक परत बना देता है, जिससे नमी अंदर बनी रहती है। इसका नियमित इस्तेमाल ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है, डेड स्किन सेल्स को हटाता है और त्वचा में प्राकृतिक चमक लाता है। इसे हल्का गर्म करके मालिश करने से सर्दियों में शरीर को गरमाहट भी मिलती है।
'त्वचा का अमृत'
जैतून का तेल और बाकी प्राकृतिक तेलों के अपने-अपने फायदे होते हैं। सर्दियों में तेल अभ्यंग करना बहुत अच्छा होता है, लेकिन बहुत कम ही लोग जानते हैं कि सर्दियों में किस तेल का इस्तेमाल ज्यादा लाभकारी होता है। आयुर्वेद में तिल के तेल को सर्दियों में सबसे ज्यादा गुणकारी बताया गया है, जो त्वचा को संरक्षण देने के साथ-साथ जोड़ों के दर्द में भी काम देता है।
सर्दियों का नेचुरल बॉडी कवच
तिल का तेल सिर्फ एक तेल नहीं, बल्कि सर्दियों का नेचुरल बॉडी कवच है। यह शरीर को सुरक्षित रखने के साथ-साथ शरीर को गर्म रखता है, स्किन को पोषित करके उसे जवां बनाए रखने में मदद करता है। साथ ही, मांसपेशियों और जोड़ों में होने वाले दर्द से भी राहत देता है। आयुर्वेद में माना गया है कि तिल का तेल सर्दियों में बढ़ने वाले वात को कम करता है, जिससे गठिया, जोड़ों में दर्द और नींद न आने की परेशानी होती है। ऐसे में अगर तिल के तेल से अभ्यंग किया जाए तो इन सभी परेशानियों से राहत मिल सकती है।
तिल का तेल प्रभावशाली
आयुर्वेद में माना गया है कि तिल का तेल इतना प्रभावशाली होता है कि जैसे ही इसे त्वचा पर लगाया जाता है, तो त्वचा की सात परतों को पार करके अंदर तक अपना असर दिखाता है। इसमें भरपूर मात्रा में सेसामोल, सेलमिन और विटामिन ई होता है, जो प्राकृतिक रूप से त्वचा को पोषण देता है। इससे त्वचा का रूखापन, झुर्रियां और सर्दियों में त्वचा पर पड़ने वाली दरारें कम होती हैं। सेसामोल और सेलमिन मिलकर त्वचा को अंदर से पोषण देते हैं।
त्वचा की रक्षा
भारतीय संस्कृति में सालों से उबटन में तिल के तेल का इस्तेमाल होता आया है, क्योंकि ये धूप में मौजूद यूवी किरणों से भी बचाता है। ये हमारे शरीर पर सनस्क्रीन की तरह काम करता है। इसके प्रयोग से त्वचा पर एक पतली लेयर बन जाती है। ये लेयर 24 घंटे तक शरीर पर बनी रहती है और त्वचा की रक्षा करती है। ऐसी क्षमता न तो नारियल के तेल में होती है और न ही जैतून के तेल में।
हड्डियों को मजबूती
तिल के तेल का प्रयोग हड्डियों को मजबूती देता है। जोड़ों के दर्द और गठिया की परेशानी सर्दियों में ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में सुबह-शाम तिल के तेल से अभ्यंग लाभकारी होता है।
(इनपुट-आईएएनएस)
Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"
/young-bharat-news/media/agency_attachments/2024/12/20/2024-12-20t064021612z-ybn-logo-young-bharat.jpeg)
Follow Us
/young-bharat-news/media/media_files/2025/04/11/dXXHxMv9gnrpRAb9ouRk.jpg)