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AI की मदद से आनुवंशिक रोगों की पहचान और उपचार में आ सकते हैं क्रांतिकारी बदलाव

एक नए अध्ययन के अनुसार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या एआई) जल्दी ही आनुवंशिक बीमारियों की पहचान और इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है

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YBN News
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AInews Photograph: (ians)

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नई दिल्ली, आईएएनएस। एक नए अध्ययन के अनुसार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या एआई) जल्दी ही आनुवंशिक बीमारियों की पहचान और इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। 

आनुवंशिक बीमारियों की पहचान

यह अध्ययन ऑस्ट्रेलिया की ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (एएनयू) के वैज्ञानिकों ने किया है। सिन्हुआ न्यूज एजेंसी के अनुसार, इसका मकसद दवाइयों और इलाज को और ज्यादा सटीक और व्यक्ति विशेष के अनुसार बनाना है। यह काम नए तरह के डाटा टूल्स की मदद से किया गया है।

यह शोध 'नेचर कम्युनिकेशन्स' में छपा है। इसमें एआई से चलने वाले प्रोटीन मॉडल और जीनोम सिक्वेंसिंग को मिलाकर यह समझने की कोशिश की गई है कि जीन में बदलाव (म्यूटेशन) इंसानी सेहत पर कैसे असर डालते हैं।

इंसानी सेहत पर कैसे असर

इसमें गूगल की डीपमाइंड कंपनी द्वारा बनाए गए एडवांस्ड एआई टूल "अल्फाफोल्ड" का उपयोग किया गया। इससे वैज्ञानिकों ने यह समझा कि कुछ प्रोटीन हानिकारक बदलावों से ज्यादा प्रभावित क्यों होते हैं, और कुछ नहीं।

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अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. डैन एंड्रयूज के अनुसार, समय के साथ प्रकृति ने सबसे जरूरी प्रोटीनों को इस तरह विकसित किया है कि वे नुकसानदायक बदलावों को झेल सकें। लेकिन जो प्रोटीन कम जरूरी हैं, उनमें यह क्षमता कम पाई गई।

आनुवंशिक बीमारियों की वजह

एएनयू के जॉन कर्टिन स्कूल ऑफ मेडिकल रिसर्च और स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग के वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि जो जीन बहुत जरूरी नहीं माने जाते, वही कई बार गंभीर आनुवंशिक बीमारियों की वजह बन जाते हैं। एंड्रयूज ने बताया कि जीन में बदलाव लगातार होते रहते हैं और टालना मुश्किल है।

कुछ जीन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और उनमें कम ही बदलाव देखे जाते हैं, लेकिन कुछ जीन थोड़े कम महत्वपूर्ण होते हुए भी इतने जरूरी होते हैं कि उनमें बदलाव होने पर बीमारी हो सकती है।

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यह शोध यह समझने में मदद करता है कि कौन-से जीन बीमारियों में ज्यादा असर डालते हैं और किनका इलाज पहले करना चाहिए।

बीमारियों में ज्यादा असर

एंड्रयूज ने बताया कि अगर हमें पता चल जाए कि किसी व्यक्ति के शरीर में कौन-सी आनुवंशिक प्रणालीठीक से काम नहीं कर रही, तो हम इलाज चुनने में ज्यादा सटीक हो सकते हैं।

यह अध्ययन उन बीमारियों पर भी लागू होता है जिनमें कई जीन में बदलाव होते हैं। इसमें जीन में बदलाव के असर को मापा गया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौन-सा जीन काम नहीं कर रहा। भविष्य में इस शोध से ऐसे एआई टूल बनाए जा सकते हैं, जो व्यक्ति के जीन और बीमारी से जुड़े डाटा के आधार पर इलाज का सुझाव दे सकें।

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एंड्रूज ने कहा, "हमारे भविष्य के लक्ष्यों में व्यक्तियों के लिए उनके आनुवंशिक और पैथोलॉजी डेटा के आधार पर प्रभावी उपचार को चिह्नित करने के लिए स्वचालित सिस्टम विकसित करना शामिल है।"

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