वाईबीएन नेटवर्क।
आज की तेज़ रफ्तार और तनावपूर्ण जीवनशैली का सबसे बड़ा असर महिलाओं के हार्मोनल स्वास्थ्य पर पड़ा है। इसका सबसे सामान्य लेकिन गंभीर रूप है - PCOD (Polycystic Ovarian Disease)। यह समस्या 10 में से 3 युवतियों को किसी न किसी रूप में प्रभावित कर रही है। अनियमित पीरियड्स, चेहरे पर अनचाहे बाल, वजन बढ़ना, मूड स्विंग्स और बांझपन जैसे लक्षण इसकी पहचान हैं। अच्छी बात ये है कि आयुर्वेद में इसका जड़ से इलाज मौजूद है - वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के।
क्या है PCOD?
PCOD एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिला के अंडाशय (Ovaries) में छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं। इससे शरीर में हार्मोनल असंतुलन पैदा होता है। इसका सीधा असर महिला की मासिक चक्र (Menstrual Cycle) और प्रजनन क्षमता पर पड़ता है।
कारण क्या हैं?
PCOD होने के पीछे सबसे बड़ा कारण है बदलती जीवनशैली। जंक फूड का अत्यधिक सेवन, नींद की कमी, शारीरिक गतिविधियों की कमी और मानसिक तनाव - ये सभी मिलकर इस समस्या को जन्म देते हैं। इसके अलावा अनुवांशिक कारण भी इसकी बड़ी वजह हैं।
आयुर्वेद में क्या है इलाज?
- आयुर्वेद में PCOD का इलाज केवल लक्षणों को दबाने तक सीमित नहीं, बल्कि शरीर की प्राकृतिक प्रणाली को संतुलित करने पर आधारित होता है।
- कुंजल क्रिया और वमन थैरेपी जैसे पंचकर्म उपाय टॉक्सिन्स को शरीर से बाहर निकालते हैं।
- अशोकघन वटी, कुमार्यासव, पुनर्नवास्थक क्वाथ और फालघृत जैसी औषधियां हार्मोन संतुलन में सहायक होती हैं।
- नियमित योगासन - विशेष रूप से भुजंगासन, शलभासन,
- सूर्य नमस्कार - ओवरीज़ की कार्यक्षमता बढ़ाने में मददगार हैं।
खानपान और दिनचर्या में बदलाव जरूरी
PCOD से निजात पाने के लिए आहार सबसे अहम भूमिका निभाता है। आयुर्वेद के अनुसार गेहूं, जौ, मूंग दाल का सेवन करें। तैलीय, मीठे, और प्रोसेस्ड फूड से बचें। गर्म पानी पिएं और दिन में कम से कम 30 मिनट टहलें। साथ ही डिजिटल डिटॉक्स और तनाव नियंत्रण के लिए मेडिटेशन अपनाएं।