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Photograph: (google)
ढाका, (आईएएनएस)। बांग्लादेश की अवामी लीग ने रविवार को अपने नेताओं के खिलाफ लाए गए आरोपों की कड़ी निंदा की और इन्हें मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली "अवैध अंतरिम सरकार" द्वारा चलाए जा रहे "राजनीतिक अभियान" का हिस्सा करार दिया।
गैर-निर्वाचित सरकार की बेतुकी कार्रवाई
अवामी लीग के नेता मोहम्मद ए. आराफात ने कहा कि न तो पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और न ही उन्हें अब तक इन मामलों में किसी भी तरह की औपचारिक नोटिस मिला है। उन्होंने इसे "गैर-निर्वाचित सरकार की बेतुकी कार्रवाई" करार दिया।
न तो कानूनी और न ही नैतिक अधिकार
उन्होंने कहा, "यह एक अवैध सरकार द्वारा लोकतांत्रिक वैधता को मिटाने, विपक्ष को चुप कराने और सत्ता में बने रहने के लिए चलाए जा रहे व्यापक अभियान का हिस्सा है। ऐसी सरकार को न तो कानूनी और न ही नैतिक अधिकार है कि वह जनमत से चुनी गई सरकार पर मुकदमा चलाए। संसद द्वारा पारित कानूनों में संशोधन करने का अधिकार सिर्फ संसद को है, किसी अंतरिम सरकार को नहीं।"
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ आरोप तय
यह बयान उस समय आया है जब बांग्लादेश की एक अदालत ने 31 जुलाई को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, उनके बेटे सजीब वाजेद जॉय, बेटी सायमा वाजेद पुतुल और अन्य पर पूरबाचल न्यू टाउन परियोजना में कथित भ्रष्टाचार से जुड़े छह मामलों में आरोप तय किए हैं। अदालत ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है और 13 अगस्त को अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान दर्ज करने की तिथि तय की है।
"त्रासदीपूर्ण और अराजक" थीं
आराफात ने कहा कि जुलाई 2024 की घटनाएं "त्रासदीपूर्ण और अराजक" थीं और उस समय की कानून-व्यवस्था ने भीड़ की हिंसा को रोकने के लिए उपलब्ध संसाधनों का उपयोग किया। उन्होंने कहा कि किसी लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए नेता को "संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करने के लिए" अभियोजन का सामना नहीं करना चाहिए। उन्होंने उकसावे, समर्थन और साजिश के आरोपों को "बेबुनियाद" बताते हुए कहा कि ये आरोप "संदिग्ध लोगों की गवाही और अप्रमाणित ऑडियो क्लिप" पर आधारित हैं।
हिंसक घटनाओं की स्वतंत्र जांच शुरू
आराफात ने दावा किया कि हसीना सरकार ने हिंसक घटनाओं की स्वतंत्र जांच शुरू की थी, लेकिन वर्तमान शासन ने उस जांच को खत्म कर दिया। उन्होंने कहा, "यह एकमात्र जांच नहीं है जिसे यूनुस सरकार ने दरकिनार किया है। 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान जिन लोगों ने अत्याचार किए, उनके खिलाफ 1973 में संसद द्वारा इंटरनेशनल क्राइम्स (ट्रिब्यूनल) एक्ट के तहत मुकदमे चलाने का प्रावधान किया गया था, लेकिन अंतरिम सरकार ने इन मुकदमों को रोक दिया है और अब वह अपनी सीमाओं से बाहर जाकर राजनीतिक विरोधियों पर मनगढ़ंत मामले चला रही है।" Bangladeshi immigrants | Bangladesh court | Bangladesh news | bangladesh news today | bangladesh update | Baangladesh new not present in content