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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: बलूचिस्तान में दो और बलूच छात्रों को पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों ने जबरन गायब कर दिया है। यह घटनाएं उस इलाके में बढ़ती हुई जबरदस्ती गुमशुदा होने की घटनाओं का हिस्सा मानी जा रही हैं। इस जानकारी को एक प्रमुखमानवाधिकार संगठन ने साझा किया है। बलूच नेशनल मूवमेंट के मानवाधिकार विभाग पांक ने बताया कि 28 अक्टूबर को 17 साल के बेजान और 19 साल के जहांजेब को उनके घरों से उठाया गया। दोनों छात्र वाशुक जिले के निवासी हैं और अब तक उनका कोई पता नहीं चला है। ये दोनों इस प्रकार की नवीनतम घटनाओं में शामिल हो गए हैं।
आईएसआई की टीमों ने मिलकर छापेमारी की
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पांक ने बताया कि पाकिस्तान की काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट (सीटीडी) और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) की टीमों ने मिलकर छापेमारी की। इसी दौरान ये दोनों छात्र जबरदस्ती ले जाए गए। उनके अपहरण के बाद से अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है कि वे कहां हैं। बलूचिस्तान में बढ़ते अत्याचारों को उजागर करते हुए, एक और मानवाधिकार संगठन, बलूच वॉयस फॉर जस्टिस (बीवीजे), ने बुधवार को चार युवा बलूच छात्रों के जबरदस्ती गुमशुदा होने की घटनाओं की कड़ी निंदा की।
राज्य द्वारा बलूच लोगों के दमन का सिलसिला जारी है
बीवीजे के अनुसार, 23 अक्टूबर को पाकिस्तान की फ्रंटियर कोर और सैन्य खुफिया एजेंसियों ने केच जिले के मांड इलाके से हमूद, हारून और फहद बलूच को उठा लिया। इसके अलावा, 17 अक्टूबर को पंजगुर जिले से एक और छात्र आसिम नवाज, को जबरदस्ती ले जाया गया। संगठन ने कहा, ये अपहरण यह दर्शाते हैं कि राज्य द्वारा बलूच लोगों के दमन का सिलसिला जारी है। नाबालिगों और छात्रों को निशाना बनाना यह दिखाता है कि अपराध योजनाबद्ध तरीके से किए जा रहे हैं।' बीवीजे ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र से अपील की है कि वे इन मामलों को तुरंत देखें और पाकिस्तान पर दबाव डालें ताकि वह जबरदस्ती लोगों को गुमशुदा करने की अपनी नीति को बंद करे।
अविश्वास और मानसिक पीड़ा बढ़ रही
इसी बीच, मांड के परिवारों और स्थानीय लोगों ने अपने अपहृत रिश्तेदारों की वापसी की मांग करते हुए धरना दिया। पांक ने कहा, ''बलूचिस्तान में अपहरण और गुप्त हिरासत के मामलों में न्याय और जवाबदेही की लगातार अनदेखी करना मौलिक मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन है। पांक ने आगे कहा, 'हम प्रभावित परिवारों के साथ हैं और सत्य, न्याय और सभी गुमशुदा लोगों की तुरंत रिहाई की मांग करते हैं। इसमें 23 अक्टूबर को उठाए गए फहद, हामूद और हारुन भी शामिल हैं। सिर्फ वादे करना और पारदर्शी कार्रवाई न होना पीड़ितों के लिए बार-बार धोखा साबित हुआ है और इससे समुदाय में अविश्वास और मानसिक पीड़ा बढ़ रही है। पांक ने पाकिस्तान की सरकार से अपील की कि वह जबरदस्ती लोगों को गुमशुदा करने की प्रथा बंद करे। सभी लापता लोगों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की जाए और अपराधियों को जिम्मेदार ठहराया जाए।
इनपुट-आईएएनएस
इनपुट-आईएएनएस
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