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मास्को, वाईबीएन डेस्क।विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को मॉस्को मेंअमेरिका द्वारा रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर लगाए गए दंडात्मक टैरिफ पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भारत इस तर्क को समझने में बहुत हैरान है। जयशंकर ने बताया कि भारत रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार नहीं है, यह चीन है। वहीं, भारत सबसे बड़ा LNG खरीदार भी नहीं है, यह यूरोपीय संघ है। इसके अलावा 2022 के बाद रूस के साथ सबसे बड़ा व्यापार वृद्धि भी भारत ने नहीं किया, कुछ देशों का दक्षिण में इसका अधिक व्यापार है।
VIDEO | EAM S Jaishankar meets Russian President Vladimir Putin in Moscow.
— Press Trust of India (@PTI_News) August 21, 2025
(Source: Third Party)
(Full video available on PTI Videos - https://t.co/n147TvrpG7)#Moscowpic.twitter.com/fJqKD6SVUm
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की और द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने पर जोर दिया. यह मुलाकात उस समय हुई जब अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने के चलते भारत पर भारी दंडात्मक टैरिफ लगा दिए हैं।जयशंकर ने मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से शिष्टाचार भेंट की. इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार, ऊर्जा सहयोग और रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा की. भारत ने साफ किया कि रूस उसके सबसे पुराने और भरोसेमंद सहयोगियों में से एक है।
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रूस के विदेश मंत्री लावरोव से जयशंकर की मुलाकात
रूस के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचे विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को रूस की राजधानी मॉस्को में अपने समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात के दौरान कहा कि भारत और रूस का साझा लक्ष्य आपसी रिश्तों में 'अधिकतम पूरकता' हासिल करना है। उन्होंने भरोसा जताया कि उनकी चर्चाएं सार्थक रहीं और इस वर्ष के अंत में होने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के शिखर सम्मेलन को अधिकतम परिणामोन्मुख बनाएंगी।
अमेरिका ने चीन पर क्यों नहीं लगाए टैरिफ?
अमेरिका ने अभी तक चीन पर रूस से तेल आयात के लिए कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। अमेरिकी वित्त मंत्री ने इसे इस आधार पर सही ठहराया कि भारत ने युद्ध के बाद रूस से आयात बढ़ाया और तेल को दोबारा बेचकर मुनाफा कमाया। जयशंकर ने कहा कि अमेरिका पिछले कई वर्षों से कह रहा था कि भारत को विश्व ऊर्जा बाजार को स्थिर करने में मदद करनी चाहिए, जिसमें रूस से तेल खरीदना भी शामिल है। साथ ही भारत अमेरिका से भी तेल खरीदता है, और इसकी मात्रा बढ़ी है। ऐसे में भारत अमेरिकी तर्क को समझने में हैरान है।
भारत-रूस संबंध मजबूत- एस जयशंकर
जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस विश्व के सबसे स्थिर संबंधों वाले देशों में से हैं. उन्होंने ऊर्जा सहयोग, व्यापार और निवेश को बनाए रखने की अहमियत बताई. रक्षा और सैन्य तकनीकी सहयोग भी मजबूत है, और रूस भारत के 'मेक इन इंडिया' लक्ष्यों में सहयोग करता है.
व्यापार संतुलन सुधारने के उपाय
जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने की साझा महत्वाकांक्षा दोहराई. कृषि, फार्मा और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों में भारत के निर्यात को बढ़ाना व्यापार असंतुलन को सुधारने में मदद करेगा। भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है, चीन के बाद. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद तेल आयात में तेजी आई है, और अमेरिका इसे दंड का कारण मान रहा है. पीएम मोदी बार-बार वार्ता के जरिए युद्ध समाप्ति की अपील कर चुके हैं, और भारत के तेल आयात को राष्ट्रीय हित, उपलब्धता और कम कीमतों के आधार पर तय किया जाता है।
राजनीतिक रिश्तों पर चर्चा करने का अवसर
जयशंकर ने कहा, "आज की बैठक हमें राजनीतिक रिश्तों पर चर्चा करने का अवसर देती है, साथ ही व्यापार, आर्थिक निवेश, रक्षा, विज्ञान-तकनीक और जन-से-जन संपर्क जैसे द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा का भी। पिछले वर्ष हमारे नेताओं की 22वीं वार्षिक शिखर सम्मेलन और फिर कजान में मुलाकात हुई थी। अब हम इस साल के अंत में होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहे हैं।"
उन्होंने बताया कि बुधवार को रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ अंतर-सरकारी आयोग की बैठक बहुत उपयोगी रही और कई मुद्दों पर समाधान निकाले गए। उन्होंने कहा, "अब मैं चाहता हूं कि उन चर्चाओं को आगे बढ़ाया जाए ताकि वार्षिक शिखर सम्मेलन में अधिकतम परिणाम हासिल किए जा सकें।" Extra Tariff India Russia Oil | India Russia Defense Deal | India Russia Friendship | India-Russia defense oil deals | dr s jaishankar | jaishankar | jaishankar news