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बीजिंग, वाईबीएन डेस्क। चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकी को सिरे से खारिज कर दिया है और घोषणा की है कि वह रूसी तेल खरीदना जारी रखेगा। ट्रंप ने चीन को रूस से तेल खरीदने के लिए बढ़े हुए टैरिफ की चेतावनी दी थी, लेकिन चीन ने इसे ठुकराते हुए अपनी ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी है। यह कदम वैश्विक ऊर्जा बाजार और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।
चीन का सख्त रुख
चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा- हम अपनी ऊर्जा आपूर्ति को राष्ट्रीय हितों की सेवा में सुरक्षित करना जारी रखेंगे। यह जवाब ट्रंप की उस धमकी के बाद आया है जिसमें उन्होंने रूसी तेल खरीदने पर चीन के खिलाफ सख्त आर्थिक कदम उठाने की बात कही थी। चीन ने साफ कर दिया कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर रहेगा, जो उसका एक प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता है।
टैरिफ वॉर की आलोचना
चीन ने टैरिफ युद्धों को बेकार बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा- टैरिफ युद्धों में कोई विजेता नहीं होता। जबरदस्ती और दबाव से कुछ हासिल नहीं होगा। यह बयान अमेरिका के दबाव को नजरअंदाज करने और अपनी संप्रभुता की रक्षा करने की चीन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
जानिए क्या है पूरा मामला
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में चीन को चेतावनी दी थी कि रूस से तेल खरीदने की स्थिति में वह उस पर भारी टैरिफ लगा सकते हैं। उनका मानना है कि इससे रूस को आर्थिक लाभ होगा, जो अमेरिकी हितों के खिलाफ है। दूसरी ओर, चीन दुनिया का सबसे बड़ा तेल आयातक देश है और रूस उसकी ऊर्जा जरूरतों का एक अहम स्रोत है। ऐसे में, चीन ने ट्रंप की धमकी को खारिज करते हुए अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखा है।
चीन के इस रुख का क्या असर पड़ेगा
चीन का यह रुख अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध को और तीव्र कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति वैश्विक ऊर्जा बाजार में अस्थिरता ला सकती है, जिससे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव हो सकता है। साथ ही, यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार और कूटनीति पर भी असर डाल सकता है। हालांकि चीन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह ट्रंप की टैरिफ धमकी से नहीं डरेगा और रूसी तेल खरीदना जारी रखेगा। donald trump | china | russia