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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क:बांग्लादेश की सबसे बड़ी इस्लामी राजनीतिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी ने शनिवार को ढाका के सुहरावर्दी उद्यान में अपनी पहली एकल और भव्य रैली आयोजित की, जिसमें देशभर से हजारों समर्थक जुटे। यह शक्ति प्रदर्शन ऐसे समय हुआ जब देश में आगामी आम चुनावों को लेकर सियासी हलचल तेज हो रही है। पार्टी के अमीर (प्रमुख) शफीकुर रहमान ने इस मौके पर भ्रष्टाचार, राजनीतिक हिंसा और चुनाव सुधारों पर पार्टी के रुख को स्पष्ट करते हुए भविष्य में संघर्ष की चेतावनी दी।
पुरानी हिंसा के लिए न्याय की मांग
शफीकुर रहमान ने कहा कि "बांग्लादेश को सही दिशा में ले जाने के लिए यदि संघर्ष की आवश्यकता पड़ी तो हम पीछे नहीं हटेंगे। अल्लाह चाहे तो मैं एक न्यायपूर्ण देश की स्थापना के संघर्ष में शहीद हो जाऊं। रहमान ने 2006 से लेकर 2024 तक के राजनीतिक हिंसा की घटनाओं, खासकर 28 अक्टूबर 2006 के बाद की घटनाओं और जुलाई 2024 के कथित 'नरसंहारों' के लिए जिम्मेदार लोगों पर मुकदमा चलाने की मांग की। उन्होंने कहा कि जब तक इन घटनाओं का न्यायिक परीक्षण नहीं होता, बांग्लादेश एक नई शुरुआत नहीं कर सकता।
अवामी लीग शासन और प्रतिबंध पर टिप्पणी
गौरतलब है कि अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे बाद में अंतरिम सरकार द्वारा हटा लिया गया। रहमान ने अवामी लीग सरकार को फासीवादी बताते हुए कहा कि पार्टी का आंदोलन उसी शासन को हटाने के लिए था।
भ्रष्टाचार और राजनीतिक शुचिता पर जोर
रैली में रहमान ने घोषणा की कि जमात-ए-इस्लामी अब भ्रष्टाचार और जबरन वसूली के खिलाफ अभियान चलाएगी। उन्होंने वादा किया कि सत्ता में आने पर पार्टी के नेता सरकारी भूखंड, कर-मुक्त वाहन या व्यक्तिगत लाभ नहीं लेंगे और पारदर्शिता से शासन करेंगे।
चुनाव प्रणाली में बदलाव की मांग
पार्टी ने राष्ट्रीय चुनावों में आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation) लागू करने की वकालत की। नायब-ए-अमीर अब्दुल्ला मोहम्मद ताहिर ने कहा कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में यही प्रणाली सबसे उपयुक्त है।
बीएनपी से दूरी, नए सहयोगियों की तलाश
पार्टी ने बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) से दूरी बना ली है, जो पीआर प्रणाली का विरोध करती है। हालांकि 2001 से 2006 तक दोनों दल गठबंधन सरकार में साथ थे, इस रैली में कोई बीएनपी नेता मौजूद नहीं था। इसके बजाय अन्य इस्लामी दलों और नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) जैसे छात्र समूहों के नेताओं ने इसमें भाग लिया।
रैली में भारी भीड़, ऐतिहासिक महत्व
पार्टी नेताओं के अनुसार, यह पहली बार है जब जमात-ए-इस्लामी ने अकेले इतनी बड़ी रैली आयोजित की है, जिसमें करीब पांच लाख लोग शामिल हुए। इससे पहले वह बीएनपी के साथ साझा रैलियों में ही हिस्सा लेती रही थी। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, 1971 में बांग्लादेश की आज़ादी का विरोध करने के बाद पार्टी पर प्रतिबंध लगा था, जिसे 1976 में हटाया गया। तब से यह राजधानी ढाका में इस स्तर की एकल रैली नहीं कर सकी थी। राजनीतिक लेखक शम्सुद्दीन अहमद पेरा के अनुसार, 1970 में जमात ने पलटन मैदान में जो रैली की थी, वह विरोध के चलते बीच में ही टूट गई थी।
रहमान की तबीयत बिगड़ी
रैली के दौरान शफीकुर रहमान की तबीयत दो बार बिगड़ी और उन्हें बेहोशी की हालत में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।