इसरायल में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार के खिलाफ जनता का असंतोष बढ़ रहा है, जिससे गृहयुद्ध की आशंका जताई जा रही है।
हाल ही में, नेतन्याहू ने आंतरिक सुरक्षा सेवा (शिन बेट) के प्रमुख रोनेन बार को बर्खास्त करने की घोषणा की, जिससे जनता में नाराजगी बढ़ गई। बार को हटाने के पीछे हमास के 7 अक्टूबर, 2023 के हमले को रोकने में विफलता का हवाला दिया गया। इसके अलावा, सरकार ने अटॉर्नी जनरल बहाराव मियारा को हटाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। सरकार का आरोप है कि मियारा उनके एजेंडे में बाधा डाल रहे हैं।
न्यायपालिका और सरकार में टकराव
इसरायल- गाजा युद्ध के बीच नेतन्याहू सरकार का न्यायपालिका में किए जा रहे बदलावों को लेकर भी भारी विरोध हो रहा है।
लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि इससे सरकार को अत्यधिक शक्ति मिल जाएगी और लोकतंत्र कमजोर होगा। हालांकि, समर्थकों का मानना है कि न्यायपालिका का हस्तक्षेप कम होना चाहिए।
पूर्व चीफ जस्टिस की चेतावनी
इजराइली सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अहरोन बराक ने गृहयुद्ध की आशंका जताई है। उन्होंने अन्य 20 पूर्व न्यायाधीशों के साथ मिलकर एक पत्र जारी कर सरकार के फैसलों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अटॉर्नी जनरल को हटाना कानून के शासन को खतरे में डाल सकता है।
देश में बढ़ते विरोध प्रदर्शन
इसरायल में नेतन्याहू सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। 2023 में भी न्यायपालिका में बदलावों को लेकर हजारों लोग सड़कों पर उतर आए थे। विपक्षी नेता यायर लैपिड ने भी सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।
घायल सैनिकों की संख्या में वृद्धि
Israeli रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, युद्ध में घायल सैनिकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वर्तमान में 78,000 से अधिक सैनिक घायल हैं, जिनमें से 16,000 हमास के हमले के बाद घायल हुए थे। इनमें 66 प्रतिशत रिजर्व सैनिक हैं, जिनमें से 51 प्रतिशत की उम्र 18 से 30 वर्ष के बीच है। करीब 10,900 सैनिक शारीरिक चोटों से पीड़ित हैं, जबकि आधे मानसिक आघात झेल रहे हैं।
गंभीर स्थिति में इसरायल
देश में कोई आधिकारिक संविधान नहीं होने के कारण, संसद के एकमात्र सदन पर
नेतन्याहू के गठबंधन का नियंत्रण है। ऐसे में न्यायपालिका सरकार के फैसलों पर नजर रख रही है। बार की बर्खास्तगी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, और अदालत ने इस पर रोक लगा दी है। यदि अटॉर्नी जनरल को भी हटाया जाता है, तो यह फैसला भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती का सामना कर सकता है।
इसरायल में जारी राजनीतिक और संवैधानिक संकट गृहयुद्ध का रूप ले सकता है, जिससे देश की आंतरिक स्थिरता पर खतरा मंडरा रहा है।