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न्यूयॉर्क, वाईबीएन डेस्क। फ्रांस ने फलस्तीन को स्वतंत्र एवं स्वयंप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता देने के अपने फैसले का बचाव किया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सम्मेलन में कहा कि फलस्तीनियों को राज्य का हक देना उनका अधिकार है, कोई इनाम नहीं। उनकी मंशा क्षेत्र में शांति की बहाली करना है। फ्रांस का यह कदम फलस्तीन राज्य अधिकार की प्राप्ति के लिए ग्लोबल लेवल पर मजबूती देगा। इस आयोजन का मकसद इजरायल-फलस्तीन विवाद के टू-नेशन समाधान के लिए नए स्तर पर समर्थन को बढ़ावा देना है।
यूएन महासभा में मैक्रों ने की घोषणा
समाचार एजेंसी रायटर की खबर के अनुसार, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में फलस्तीन को राष्ट्र की मान्यता देने का ऐलान किया। इस पर दुनिया के 140 नेताओं ने तालियां बजाकर उनके फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने बोला कि ‘मिडिल ईस्ट और इजरायलियों और फलस्तीनियों के बीच शांति के लिए मेरे देश की ऐतिहासिक प्रतिबद्धता के अनुसार से मैं आज घोषणा करता हूं कि फ्रांस फलस्तीन राज्य को मान्यता देता है’।
फलस्तीन को स्वतंत्र देश की मान्यता देना उनका एक हक
यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी फलस्तीनियों के लिए राज्य के दर्जे की मांग को बल दिया है। उन्होंने कहा कि फलस्तीनियों को राज्य का अधिकार देना इनाम नहीं है बल्कि उनका हक है. गुटेरेस ने यह भी कहा कि फिलिस्तीन पर कब्जा और उनके अधिकारों को दबाना अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ है. फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देना जरूरी है, ताकि वहां के लोगों को न्याय और समान अधिकार मिल सकें।
इजराइल देगा जवाब
वहीं, दूसरी ओर इजराइल और उसके समर्थक देशों का मानना हैं कि फलस्तीन को राज्य का दर्जा देना गलत होगा, क्योंकि इससे चरमपंथी समूहों को ताकत मिल सकती है। नेतन्याहू सरकार ने भी इस फैसले का विरोध किया है और कहा है कि इससे हमास को ताकत मिलेगी। इजरायली पीएम नेतन्याहू का स्पष्ट कहना है कि हम जवाब देने में एकतरफा कदम भी उठा सकते हैं। French President UN | united states | united nations organization