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दुनियाभर में ये धार्मिक कट्टरता बढ़ती जा रही है, दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां हिंदुओं को जबरन रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बाद कट्टरता की ये चिंगारी दक्षिण अफ्रीका तक पहुंच गई है। ताजा मामले में दक्षिण अफ्रीका में एक शिक्षक ने कथित तौर पर एक हिंदू छात्र की कलाई से पवित्र धागा काट दिया, जिसके बाद हंगामा मच गया, हिंदू समुदाय के सदस्यों ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे "असंवेदनशील और गैरजिम्मेदाराना" बताया है। शिक्षक ने अपने बचाव में बोलते हुए दावा किया कि स्कूल सांस्कृतिक या धार्मिक प्रतीकों को पहनने की अनुमति नहीं देता है।
क्या है पूरा मामला?
यह घटना पिछले हफ़्ते की बताई जा रही है, इस घटना के बाद देशभर के हिंदुओं में गुस्से का माहौल है, दक्षिण अफ्रीका में एक शिक्षक ने कथित तौर पर एक हिंदू छात्र की कलाई से पवित्र धागा काट दिया, आपको बता दें कि यह घटना क्वाज़ुलु-नताल प्रांत के ड्रेकेंसबर्ग सेकेंडरी स्कूल की है। वहीं, शिक्षक द्वारा कथित तौर पर हिंदू छात्र की कलाई से पवित्र धागा काटने के बाद दक्षिण अफ्रीकी हिंदू महासभा (SAHMS) ने शिक्षा अधिकारियों से कार्रवाई की मांग की है।
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हिंदू समुदाय का विरोध
इस मामले पर हिंदू संगठन ने पिछले रविवार को एक प्रेस बयान जारी किया जिसमें कहा गया है, "एसएएचएमएस एक शिक्षक द्वारा हिंदू छात्र की कलाई से धार्मिक धागा काटने की असंवेदनशील और गैरजिम्मेदाराना हरकत की कड़ी निंदा करता है।" संगठन ने दावा किया कि वह स्कूल में धार्मिक असहिष्णुता की कथित घटना की जांच कर रहा है, लेकिन जांच में कई दिक्कतें आ रही हैं, इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि जिस छात्र के साथ यह घटना हुई है वह सामने आने से डर रहा है, वह स्कूल में हो रही प्रताड़ना से पीड़ित है और उसका परिवार दर्द में है, इस घटना के बाद वह अपनी सुरक्षा को लेकर भी चिंतित है।
मामले पर स्कूल प्रिंसिपल का बयान
एसएएचएसएम के अध्यक्ष अश्विन त्रिकमजी ने कहा कि उन्होंने स्कूल प्रिंसिपल और स्कूल की गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन से फोन पर बात की और दोनों ने खुलासा किया कि वे हिंदू हैं। उन्होंने राष्ट्रीय भारतीय रेडियो स्टेशन लोटस एफएम को दिए इंटरव्यू में कहा,
"वे अपने स्कूल में किसी भी तरह के धार्मिक भेदभाव की अनुमति नहीं देने के बारे में बहुत सख्त थे, दोनों ने घोषणा की कि उनके हाथों में अंगूठियां और धागे हैं, लेकिन हमें अभी तक आधिकारिक तौर पर लिखित में कुछ भी नहीं मिला है।"