वाईबीएन नेटवर्क
Lucknow News : अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव में महारथियों की किस्मत का फैसला युवा करने जा रहे हैं। पांच फरवरी को होने वाले मतदान में युवा अपनी भागीदारी निभाने के लिए तैयार हैं। करीब 47.51 फीसदी मतदाताओं की उम्र 40 साल से कम है। ऐसे में मिल्कीपुर के उपचुनाव में युवा मतदाताओं की निर्णायक भूमिका रहेगी। जिस भी पार्टी को इनका समर्थन मिलेगा, उसकी जीत की संभावना बढ़ जाएगी। इसी वजह से सभी राजनीतिक दल युवा मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
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मिल्कीपुर में 3.71 लाख से अधिक मतदाता
मिल्कीपुर में कुल 3,71,578 मतदाता हैं। इनमें से 1,76,567 मतदाता 40 वर्ष से कम आयु के हैं। यानी लगभग 47.51 फीसदी मतदाता युवा हैं। मतदाता सूची के अनुसार, मिल्कीपुर में 18 से 29 वर्ष की आयु के 77,166 मतदाता हैं। जो कुल मतदाताओं का 26.61 प्रतिशत हैं। इसके बाद 30 से 39 वर्ष की आयु के मतदाताओं की संख्या 98,891 है। यदि 18 से 39 वर्ष के सभी मतदाताओं को जोड़ा जाए, तो इनकी कुल हिस्सेदारी 47.51 प्रतिशत है। मतदान को लेकर युवाओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है। इनका वोट किसी भी उम्मीदवारों की जीत और हार में अहम भूमिका निभा सकता है।
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नौकरी युवाओं का सबसे बड़ा मुद्दा
युवा मतदाताओं के अपने कई मुद्दे हैं। इनमें सबसे अहम मुद्दा रोजगार है। इसके अलावा शिक्षा, कानून व्यवस्था, कौशल विकास और बुनियादी सुविधाएं शामिल हैं। वे चाहते हैं कि रोजगार मिले। कानून व्यवस्था सुदृढ़ हो, खासकर आधी आबादी की सुरक्षा के लिए यह बेहद जरूरी है। कौशल विकास भी उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है। ताकि शिक्षा पूरी करने के बाद उन्हें रोजगार के लिए भटकना न पड़े।
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भर्तियों में देरी को लेकर युवाओं में आक्रोश
सरकारी भर्तियों में कथित गड़बड़ियों और बार-बार जांच के चलते होने वाली देरी युवाओं के बीच एक अहम मुद्दा है। इससे उनकी नौकरी की संभावनाओं पर असर पड़ रहा है। जिससे उनका भविष्य भी असमंजस में है। बेरोजगारी और भर्तियों में देरी को लेकर युवाओं में आक्रोश है। जिसे राजनीतिक दल भी भांप रहे हैं। मिल्कीपुर के उपचुनाव में भाजपा और सपा के प्रत्याशी इस मुद्दे को भुनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। दोनों दलों के उम्मीदवार युवाओं को रोजगार देने का वादा कर रहे हैं। ताकि उनका समर्थन हासिल कर सकें। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि युवा मतदाता किस पार्टी पर भरोसा जताते हैं। उनके मुद्दों को लेकर किए गए वादों का कितना असर चुनाव परिणामों पर पड़ता है।
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