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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।भारत और ब्रिटेन के बीच हाल ही में संपन्न हुआ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) विपक्ष को बेशक न सुहा रहा हो लेकिन यह समझौता दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों में एक नया अध्याय जोड़ रहा है। इस समझौते का केंद्र बिंदु व्हिस्की है, जो न केवल ब्रिटेन से भारत में बड़े पैमाने पर आयात की जाती है, भारत ब्रिटिश व्हिस्की का सबसे बड़ा बाजार है। यह समझौता व्हिस्की व्यापार के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था और निर्यात को भी मजबूती देगा। नए समझौते से ब्रिटिश व्हिस्की पर टैक्स कम होंगे और भारतीय उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर व्हिस्की मिल सकेगी, यानी इस समझौते से पीने वालों की भी मौज होने वाली है।
सबसे बड़े पियक्क्ड़ हैं भारतीय
FTA: व्हिस्की एसोसिएशन और कन्फेडरेशन ऑफ ब्रिटिश इंडस्ट्री (सीबीआई) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत दुनिया में सबसे अधिक व्हिस्की की खपत करने वाला देश है। यहां हर साल 22 करोड़ लीटर से ज्यादा व्हिस्की का उपभोग होता है। भारत हर साल ब्रिटेन से लगभग 13,000 करोड़ रुपये की प्रीमियम और स्टैंडर्ड स्कॉच व्हिस्की आयात करता है, जिसमें जॉनी वॉकर, चिवास रीगल, बैलेनटाइंस, ग्लेनफिडिक और द मैकऐलन जैसे ब्रांड शामिल हैं।
आधा होगा ब्रिटिश व्हिस्की पर टैरिफ
इस समझौते के तहत, भारत ने स्कॉच व्हिस्की पर लगने वाले 150% आयात शुल्क (टैरिफ) को चरणबद्ध रूप से 75% या उससे कम करने का फैसला किया है। इससे भारतीय बाजार में स्कॉच की कीमतें 10 से 30 प्रतिशत तक कम हो सकती हैं, जिससे प्रीमियम व्हिस्की आम लोगों की पहुंच में आएगी। स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन का अनुमान है कि शुल्क में कटौती से भारत में स्कॉच की बिक्री 20-25% तक बढ़ सकती है। यह ब्रिटेन के निर्यात लक्ष्यों के लिए अहम साबित होगा। हालांकि, शुरुआत में भारत के कर राजस्व पर असर पड़ सकता है, लेकिन मांग बढ़ने से लंबे समय में राजस्व में वृद्धि की उम्मीद है।
शराब से सालाना 2.5 लाख करोड़ का राजस्व
केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के अनुसार, भारत को शराब से सालाना 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर राजस्व मिलता है, जिसमें विदेशी ब्रांड्स का बड़ा योगदान है।
99 भारतीय उत्पाद होंगे टैरिफ मुक्त
केंद्रीय व्यापार एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इस समझौते को भारत के लिए परिवर्तनकारी बताया है। यह किसानों, व्यापारियों, एमएसएमई, युवाओं और मछुआरों के लिए फायदेमंद होगा। गोयल ने कहा कि यह अब तक का सबसे बड़ा और व्यापक एफटीए है, जिसमें 30 अध्याय शामिल हैं। भारत में कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है और अब ब्रिटेन में संसदीय मंजूरी का इंतजार है। इसके लागू होने पर 99% भारतीय निर्यात ब्रिटेन में शुल्क-मुक्त होंगे, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा बढ़ावा मिलेगा।
एफटीए से बाहर रहेंगे संवेदनशील क्षेत्र
गोयल ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत के संवेदनशील क्षेत्रों जैसे डेयरी, चावल और चीनी को इस समझौते में ब्रिटेन के लिए नहीं खोला गया है। उन्होंने कहा, "हर देश के कुछ क्षेत्र संवेदनशील होते हैं, और हमने इनकी सुरक्षा सुनिश्चित की है।" इसके अलावा, लैंगिक समानता, पर्यावरण और बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) जैसे मुद्दों पर भी सहमति बनी है।
ब्रिटेन के लिए भारत एक खास साझेदार
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने इसे ब्रेक्जिट के बाद का सबसे महत्वपूर्ण एफटीए करार दिया है। गोयल ने कहा कि भारत की मजबूत नेतृत्व क्षमता, बढ़ता मध्यम वर्ग और लोगों की आय में वृद्धि ने भारत को वैश्विक साझेदार के रूप में पसंदीदा बनाया है। यह समझौता न केवल व्यापार को बढ़ावा देगा, बल्कि निवेश, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन में सहयोग को भी मजबूत करेगा।
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