नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
US President
Donald Trump की
Tariff नीतियों के कारण वैश्विक
व्यापार को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यदि ट्रंप भारत को टैरिफ में राहत देते हैं, तो भारत भी America से आयातित वस्तुओं पर शुल्क घटा सकता है। निर्यात सुरक्षित रखने के लिए भारत, अमेरिका से आयातित 55 प्रतिशत वस्तुओं पर टैरिफ में कमी करने पर विचार कर रहा है। इन वस्तुओं पर 5 से 30 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाता है। हालांकि, यह कटौती ट्रंप प्रशासन की ओर से मिलने वाली रियायतों पर निर्भर करेगी। भारत को आशंका है कि ट्रंप के फैसले से मोती, खनिज ईंधन, मशीनरी, बॉयलर और बिजली उपकरण जैसी वस्तुओं पर 6 से 10 प्रतिशत तक टैरिफ बढ़ सकता है।
व्यापार वार्ता आज से शुरू
भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को मजबूत बनाए रखने के लिए अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को भारत पहुंचा। दक्षिण और मध्य एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में यह दल बुधवार से तीन दिवसीय वार्ता करेगा। चर्चा मुख्य रूप से प्रस्तावित व्यापार समझौते पर केंद्रित होगी, जिसे दो चरणों में अंतिम रूप दिया जाएगा। पहले चरण में माल व्यापार संबंधी मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा।
जीटीआरआई की सतर्कता की सलाह
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने भारत को व्यापार समझौते पर बातचीत में सतर्क रहने की सलाह दी है। जीटीआरआई के अनुसार, अमेरिका में फास्ट ट्रैक ट्रेड अथॉरिटी की अनुपस्थिति के कारण किसी भी समझौते को अमेरिकी संसद द्वारा संशोधित, विलंबित या अस्वीकृत किया जा सकता है। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका की प्रमाणन प्रक्रिया समझौते के बाद पुनः वार्ता का अवसर देती है, जिससे भारत की संप्रभुता प्रभावित हो सकती है।
नए टैरिफ से अन्य देशों को फायदा
पारस्परिक टैरिफ से भारत के करीब 95,000 करोड़ रुपये मूल्य के फार्मास्यूटिकल और ऑटोमोटिव निर्यात पर सबसे अधिक असर पड़ सकता है, जो अमेरिकी बाजार पर निर्भर है। इसके चलते इंडोनेशिया, इस्राइल और वियतनाम जैसे देशों को लाभ मिल सकता है। अमेरिका भारत पर ऑटोमोबाइल टैरिफ में कटौती का दबाव बना सकता है। यह वर्तमान में सौ प्रतिशत से अधिक है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन यात्रा के दौरान भारत का ऑटोमोबाइल पर भारत का टैरिफ अत्यधिक बताया था।