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IAEA को ईरान की दो टूक, राजनीतिक दबाव नहीं चलेगा

ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन (ई-3 देशों) की आलोचना और प्रतिबंधों की चेतावनी को खारिज कर दिया है। ईरान का कहना है कि वह किसी भी राजनीतिक दबाव को स्वीकार नहीं करेगा।

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Ranjana Sharma
Manali (43)
नई दिल्‍ली, वाईबीएन डेस्‍क : ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर पश्चिमी देशों के बढ़ते दबाव को खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि वह किसी भी प्रकार की राजनीतिक दबाव नीति या अनुचित कार्रवाई को स्वीकार नहीं करेगा। ईरानी विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची ने चेतावनी दी है कि इस तरह के कदम क्षेत्रीय और वैश्विक तनाव को और बढ़ा सकते हैं।

संस्था के साथ सहयोग अंतरराष्ट्रीय नियमों के दायरे में

ईरान की आधिकारिक समाचार एजेंसी 'इरना' के अनुसार, अराघची ने यह बयान अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी के साथ एक फोन वार्ता के दौरान दिया। यह बातचीतसंयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 2015 के परमाणु समझौते के तहत प्रतिबंधों में छूट को बढ़ाने वाले प्रस्ताव के पारित न होने के बाद हुई। अराघची ने आईएईए बोर्ड की बैठक में 'राजनीतिक निर्णयों' की आलोचना करते हुए कहा कि ईरान का एजेंसी के साथ सहयोग अंतरराष्ट्रीय नियमों और दायित्वों के दायरे में है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यूरोपीय देशों फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन (ई-3)—का रवैया भड़काऊ है और इससे कूटनीतिक प्रयासों को नुकसान पहुंच सकता है।

संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध फिर से लगाए जा सकते हैं

गौरतलब है कि ई-3 देशों ने पिछले महीने 2015 के परमाणु समझौते संयुक्त व्यापक कार्य योजना के तहत "स्नैपबैक" तंत्र को औपचारिक रूप से सक्रिय किया था। इस तंत्र के अनुसार, अगर समझौते का उल्लंघन होता है, तो ईरान पर 30 दिनों के भीतर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध दोबारा लगाए जा सकते हैं। सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार यह प्रतिबंध सितंबर के अंत तक लागू हो सकते हैं। ई-3 देशों का आरोप है कि ईरान ने आईएईए  निरीक्षकों को पूरी पहुंच नहीं दी है और वह परमाणु सामग्री पर पारदर्शिता बनाए रखने में विफल रहा है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि ईरान वार्ता में लौटने के लिए कोई ठोस प्रस्ताव पेश करने में लगातार टालमटोल कर रहा है।

आईएईए के साथ तकनीकी सहयोग भी रोक

इस साल की शुरुआत में ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता के कई दौर हुए थे, लेकिन जून में ईरानी परमाणु ठिकानों पर इजराइल के हमलों के बाद ईरान ने न केवल वार्ता बल्कि आईएईए के साथ तकनीकी सहयोग भी रोक दिया। बता दें कि वर्ष 2015 में ईरान और छह वैश्विक शक्तियों (P5+1) के बीच JCPOA समझौता हुआ था। हालांकि 2018 में अमेरिका के इस समझौते से अलग हो जाने के बाद ईरान ने भी धीरे-धीरे समझौते के कई प्रावधानों का पालन करना बंद कर दिया।

इनपट- आईएएनएस
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