नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क
इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता को महाकुंभभिषेकम के बाद मंगलवार को आम जनता के लिए खोल दिया गया। आपको बता दें कि इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री भी शामिल हुए, लेकिन वे शारीरिक रूप से वहां नहीं गए। बल्कि उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और अपना वक्तव्य भी दिया।
अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुरुगन मंदिर के महाकुंभभिषेकम जैसे पवित्र आयोजन का हिस्सा बनकर वे खुद को सौभाग्यशाली महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भले ही मैं जकार्ता से सैकड़ों किलोमीटर दूर हूं और ऑनलाइन जुड़ा हुआ हूं, लेकिन मेरा दिल इस आयोजन से उतना ही जुड़ा है जितना भारत और इंडोनेशिया के बीच का रिश्ता।
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पीएम ने क्या कहा?
"कुछ दिन पहले ही इंडोनेशिया के प्रेजीडेंट प्रबोवो सुबियांतो 26 जनवरी को मेहमान बनकर भारत आए थे। उनको यहां सभी का प्यार मिला।प्रबोवो और मैंने साझी विरासत की कई बातें की। अब जकार्ता में भगवान मुरुगन नए भव्य मंदिर के माध्यम से हमारी सदियों पुरानी विरासत में एक नया स्वर्णिम अध्याय जुड़ रहा है। मुझे विश्वास है कि ये मंदिर ना सिर्फ हमारी आस्था का, बल्कि हमारे सांस्कृतिक मूल्यों का नया केंद्र बनेगा।"
इंडोनेशिया के साथ संबंधों को लेकर पीएम मोदी ने कही खास बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंध सिर्फ भू-राजनीतिक नहीं हैं। हम हजारों साल पुरानी संस्कृति और इतिहास से जुड़े हैं। हमारा रिश्ता विरासत, विज्ञान और विश्वास का है। हमारा रिश्ता साझा आस्था और आध्यात्म का भी है। हमारा रिश्ता भगवान मुरुगन और भगवान श्री राम का है और हमारा रिश्ता भगवान बुद्ध का भी है।
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भविष्य में बेहतर होंगे रिश्ते
पीएम मोदी ने कहा कि इंडोनेशिया और भारत ने मिलकर कई मंदिरों को संरक्षित करने का भी फैसला किया है। उन्होंने कहा कि हमें अयोध्या में इंडोनेशिया की रामलीला जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देना होगा। इससे लोगों के बीच रिश्ते मजबूत होंगे। नरेंद्र मोदी ने उम्मीद जताई कि हमारा गौरवशाली अतीत सुंदर भविष्य का आधार बनेगा।
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जकार्ता मुरुगन मंदिर को श्री सनातन धर्म आलयम के नाम से भी जाना जाता है। यह इंडोनेशिया का पहला भगवान मुरुगन को समर्पित मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 2020 में शुरू हुआ था। रविवार 2 फरवरी को बहुप्रतीक्षित महाकुंभभिषेक समारोह के साथ मंदिर को खोल दिया गया है। मंदिर का निर्माण डीकेआई जकार्ता सरकार द्वारा दान किए गए 4,000 वर्ग मीटर के भूखंड पर किया गया है।
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