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Justin Trudeau Photograph: (YBN)
टोरंटो, वाईबीएन नेटवर्क: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। इस्तीफ़ा देने से पहले ट्रूडो ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, "मैं लिबरल पार्टी के नेता और प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे रहा हूँ। मुझे नहीं लगता कि मैं 2025 के चुनावों के लिए पार्टी के लिए एक अच्छा विकल्प हूँ।" हालाँकि, रिपोर्ट्स के अनुसार ट्रूडो अपने उत्तराधिकारी के चुने जाने तक प्रधानमंत्री पद पर बने रहेंगे।
समय से पहले हो सकते हैं चुनाव!
कनाडा में चल रही इस राजनीतिक उथल-पुथल के बीच कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द चुनाव की मांग तेज हो सकती है। सूत्रों की मानें तो ट्रूडो के उत्तराधिकारी के चयन से पहले ही कनाडा में चुनाव का बिगुल बज सकता है। अगर ऐसा हुआ तो लिबरल पार्टी को आगामी चुनावों में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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क्यों दिया इस्तीफा?
ट्रूडो पर आरोप था कि वह राष्ट्रीय मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भारत विरोधी एजेंडा चला रहे हैं, ताकि लोगों का ध्यान उन मुद्दों पर न जाए, जिन पर ट्रूडो सरकार विफल रही थे। अभी कुछ समय पहले ही कनाडा के उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री ने अपनी ही सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद ट्रूडो अपनी ही पार्टी में अलग-थलग पड़ गए थे, उनके अपने ही सांसदों ने उन पर इस्तीफा देने का दबाव बनाना शुरू कर दिया था।
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देश के नाम संबोधन में ट्रूडोने क्या कुछ कहा?
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ट्रूडो की मुश्किलें क्यों बढ़ीं?
पिछले कुछ सालों में उनकी ही पार्टी के कुछ सांसदों ने ट्रूडो के नेतृत्व पर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे। सीन केसी और केन मैकडोनाल्ड जैसे कुछ हाई प्रोफाइल सांसदों के साथ-साथ कई अन्य सांसदों ने सार्वजनिक रूप से ट्रूडो का विरोध करना शुरू कर दिया था। पार्टी के कई बड़े नेताओं ने ट्रूडो पर अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए भारत पर गंभीर आरोप लगाने का आरोप लगाया था। सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी से पद छोड़ने का दबाव लगातार बढ़ रहा था।
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खबरों के मुताबिक जस्टिन ट्रूडो को पद से हटाने के लिए 20 सांसदों ने एक याचिका पर हस्ताक्षर किए थे। इसके साथ ही जस्टिन ट्रूडो के खिलाफ जनता की नाराजगी भी बढ़ती जा रही थी। अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए हर संभव प्रयास करने के बाद ट्रूडो के पास इस्तीफा देने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था।
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