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Nepal में राजशाही की मांग तेज, लोकतंत्र से नाराज़ जनता सड़कों पर, Army तैनात

नेपाल में राजशाही की मांग को लेकर जनता सड़कों पर उतर आई है। भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता से परेशान लोग फिर से राजा का शासन चाहते हैं। काठमांडू में हिंसा के बाद हालात बेकाबू हो गए, जिसके चलते सरकार को सेना तैनात करनी पड़ी।

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Vibhoo Mishra
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काठमांडू, वाईबीएन नेटवर्क।

नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग तेज होती जा रही है। भ्रष्टाचार, अस्थिर राजनीति और कमजोर सरकारों से परेशान जनता अब फिर से राजा का शासन चाहती है। शुक्रवार को काठमांडू में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए, जिसके बाद कई इलाकों में हिंसा भड़क गई। हालात बेकाबू होते देख नेपाल सरकार को सेना तैनात करनी पड़ी।

राजशाही की वापसी की मांग क्यों?

नेपाल में 2008 में राजशाही समाप्त कर लोकतंत्र की स्थापना की गई थी, लेकिन तब से अब तक 10 से ज्यादा सरकारें बन चुकी हैं। लगातार अस्थिर राजनीतिक माहौल, गठबंधन सरकारों की विफलता और भ्रष्टाचार के कारण जनता का मोहभंग हो गया है। लोग मानते हैं कि देश को मजबूत नेतृत्व की जरूरत है, जो सिर्फ राजशाही में संभव है।

नेपाल में लोकतंत्र से बढ़ता असंतोष

नेपाल में लोकतंत्र आने के बाद से राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक मंदी गहराती गई। कम्युनिस्ट सरकार पर चीन समर्थक होने और भारत से रिश्ते खराब करने के आरोप लगते रहे हैं। इसके चलते जनता को लगने लगा कि लोकतंत्र के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार और सत्ता संघर्ष चल रहा है।

नेपाल का ऐतिहासिक संबंध राजशाही से

नेपाल में करीब 240 सालों तक राजशाही रही, जिसमें कई ऐसे शासक हुए, जिनके कार्यकाल को जनता आज भी याद करती है। 2001 में हुए राजमहल हत्याकांड के बाद राजनीतिक हालात बिगड़ गए थे। 2005 में राजा ज्ञानेंद्र ने लोकतंत्र समाप्त कर सेना का शासन लागू किया था, लेकिन 2008 में नेपाल को गणराज्य घोषित कर दिया गया।

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अब हालात ऐसे हैं कि जनता को फिर से राजशाही की जरूरत महसूस हो रही है। बढ़ते प्रदर्शनों के बीच सरकार का अगला कदम क्या होगा, इस पर सबकी नजरें टिकी हैं।

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