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PM Nepal का बड़ा ऐलान: सुशीला कार्की ने कहा- Gen-Z आंदोलन के मृतक शहीद, इतना मुआवजा भी मिलेगा

नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्मी ने Gen-Z आंदोलन के मृतकों को शहीद का दर्जा देने और 10 लाख मुआवजा देने का ऐलान किया है। तीन पूर्व पीएम बेघर हो चुके हैं, हालात सामान्य।

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Dhiraj Dhillon
SUSHILA KARKI

Photograph: (X.com)

काठमांडू, वाईबीएन न्यूज।नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने पद संभालने के बाद बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि Gen-Z आंदोलन में मारे गए लोगों को शहीद घोषित किया जाएगा। उन्होंने कहा- शहीदों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए मुआवजा मिलेगा। इस हिंसा में 51 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें एक भारतीय महिला भी शामिल थी। कार्की ने भ्रष्टाचार मिटाने का संकल्प लिया और साफ किया कि वह 6 महीने से अधिक सत्ता में नहीं रहेंगी, बल्कि नई संसद को सत्ता सौंप देंगी। नेपाल में आम चुनाव 5 मार्च 2026 को होंगे।

तीन पूर्व प्रधानमंत्री हुए बेघर

Gen-Z आंदोलनकारियों ने 9 सितंबर को हिंसा के दौरान पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली, शेर बहादुर देउबा और पुष्प कमल दहल प्रचंड के घर जला दिए। इसके बाद तीनों पूर्व पीएम अपने समर्थकों के साथ आर्मी कैंप में शरण लिए हुए हैं। उनके समर्थक फिलहाल नए मकान तलाश रहे हैं।

कैसा होगा कार्की का मंत्रिमंडल

सुशीला कार्की 15 से अधिक मंत्रियों के साथ मंत्रिमंडल बना सकती हैं। नामों में कानूनी विशेषज्ञ ओम प्रकाश आर्यल, पूर्व सेना अधिकारी बालानंद शर्मा, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आनंद मोहन भट्ट्राई, ऊर्जा विशेषज्ञ कुलमान धीसिंग और कई नामी डॉक्टर शामिल हैं। Gen-Z नेताओं ने साफ किया है कि वे सरकार में शामिल नहीं होंगे, लेकिन निगरानी जरूर करेंगे। फिलहाल कैबिनेट गठन को लेकर ऑनलाइन वोटिंग भी कराई जा रही है।

पीएम मोदी और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुशीला कार्की को महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बताया और कहा कि भारत हर हाल में नेपाल के साथ खड़ा है।चीन और बांग्लादेश ने भी कार्की को बधाई दी। चीन ने शांति बहाली की उम्मीद जताई, जबकि बांग्लादेश ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।

नेपाल का भू-राजनीतिक महत्व

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भारत की पूर्व राजदूत मीरा शंकर ने कहा कि नेपाल भारत के लिए बेहद अहम है क्योंकि वह भारत-चीन के बीच बफर स्टेट है। वहीं, चीन BRI और अमेरिका MCC प्रोजेक्ट्स के जरिए नेपाल में दखल बढ़ा रहे हैं, जो भारत की चिंता बढ़ा सकता है। छह दिन की हिंसा के बाद काठमांडू के कई इलाकों से कर्फ्यू हटा लिया गया है और पब्लिक ट्रांसपोर्ट शुरू हो चुका है। हालांकि छह जगहों पर अभी भी धारा 144 लागू है।
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