वाईबीएन नेटवर्क। खुद आतंकवाद का जहर बोने वाला पाकिस्तान अब उसी आग में जल रहा है, लेकिन हद तो ये है कि सबक लेने के बजाय उसके हुक्मरान और आर्मी अफसर अब भी नफरत का खेल जारी रखे हुए हैं। ताजा उदाहरण हैं पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर, जिन्होंने एक बार फिर भारत और हिंदुओं के खिलाफ ज़हर उगला है और इस बार टारगेट है पाकिस्तान की आने वाली पीढ़ी.
हम हिंदुओं से अलग हैं
विदेश में बसे पाकिस्तानियों की एक सभा को संबोधित करते हुए असीम मुनीर ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने सोचा कि हम जिंदगी के हर पहलू में हिंदुओं से अलग हैं। धर्म, रिवाज, परंपरा, सोच, महत्वाकांक्षाएं सब कुछ। और यही हमारे दो-राष्ट्र सिद्धांत की बुनियाद है। हम एक देश नहीं, दो देश हैं। पाकिस्तान एक ऐसी रियासत है जो कलमे की बुनियाद पर बनी है। पहली रियासत थी 'रियासत-ए-तैयबा' और 1300 साल बाद बनी हमारी रियासत पाकिस्तान। इतना ही नहीं, उन्होंने विदेशों में रहने वाले पाकिस्तानियों से अपील की कि वे इस ‘कहानी’ को अपनी अगली नस्लों तक पहुंचाएं ताकि पाकिस्तान के साथ उनका रिश्ता कमजोर न हो।
पाक की ना-पाक जहर की खेती
जनरल मुनीर का ये बयान कोई पहली बार नहीं है। इससे पहले 18 मार्च को उन्होंने पाकिस्तान को एक 'हार्ड स्टेट' में बदलने की बात कह डाली थी। तब उन्होंने कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ जंग, पाकिस्तान के "अस्तित्व" की लड़ाई है। उस वक्त ये बयान आया था बलूच विद्रोहियों द्वारा एक ट्रेन हाईजैक और 25 यात्रियों की मौत के बाद। लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि आतंकवाद की जड़ें खुद पाकिस्तान की नीतियों और सेना की रणनीतियों में हैं।
सरकार के पास नहीं कंट्रोल
पाकिस्तान में लोकतंत्र सिर्फ नाम का है। असली ताकत आज भी सेना के पास है और उसकी अगुवाई कर रहे जनरल असीम मुनीर जैसे लोग, जिनके बयानों से साफ है कि उन्हें मानवाधिकारों या लोकतांत्रिक मूल्यों की कोई परवाह नहीं।