नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क। टाइम मैगजीन ने 2025 की अपनी वार्षिक "100 सबसे प्रभावशाली लोगों" की सूची जारी कर दी है। इस साल की लिस्ट में दुनियाभर से राजनीति, विज्ञान, कला और सामाजिक आंदोलनों से जुड़ी कई बड़ी हस्तियों को जगह दी गई है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि भारत से इस बार किसी भी व्यक्ति को इस सूची में शामिल नहीं किया गया है।pm modi | donald trump | पीएम मोदी | Bangladesh
जबकि बीते कुछ वर्षों में भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी पहचान को और भी मजबूत किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई देशों द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिए गए हैं, भारत ने टेक्नोलॉजी, कूटनीति, और सांस्कृतिक क्षेत्र में भी जबरदस्त प्रगति की है। फिर भी, इस प्रतिष्ठित सूची में एक भी भारतीय का नाम नहीं होना चर्चा का विषय बना हुआ है।
किसे मिली जगह?
इस लिस्ट में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस को शामिल किया गया है। यूनुस को यह स्थान बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक बदलावों के बाद वहां की कार्यवाहक सरकार के प्रमुख सलाहकार बनने के चलते मिला है। टाइम के मुताबिक, वह वर्तमान समय में एक महत्वपूर्ण वैश्विक आवाज बनकर उभरे हैं। इसके अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस जैसे नाम भी इस लिस्ट में शामिल हैं।
भारतीय मूल की रेशमा केवलरमानी को जगह
हालांकि भारत से किसी को नहीं चुना गया, लेकिन भारतीय मूल की रेशमा केवलरमानी को इस लिस्ट में 'लीडर्स' कैटेगरी के तहत शामिल किया गया है। रेशमा अमेरिका की जानी-मानी फार्मा कंपनी वर्टेक्स की सीईओ हैं। वे अमेरिका की टॉप दवा कंपनियों में से एक की पहली महिला सीईओ हैं और 11 साल की उम्र में अपने परिवार के साथ भारत से अमेरिका चली गई थीं।
पिछले साल कौन-कौन था शामिल?
2024 की लिस्ट में भारत से फिल्म अभिनेत्री आलिया भट्ट और ओलंपियन पहलवान साक्षी मलिक जैसे नाम शामिल थे। उनकी मौजूदगी ने दिखाया था कि भारत के कला और खेल क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल रही है। ऐसे में इस साल किसी भी भारतीय का नाम ना होना निश्चित तौर पर हैरान करने वाला है।
सोशल मीडिया पर उठे सवाल
सोशल मीडिया पर लोग इस फैसले को लेकर टाइम मैगजीन की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। जब भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था, टेक्नोलॉजी, और डिप्लोमेसी में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, तब उसके प्रतिनिधियों का इस तरह की अंतरराष्ट्रीय सूची से गायब होना क्या केवल एक संयोग है, या इसके पीछे कोई सोच-समझकर लिया गया निर्णय?