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Kashmir मसले पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को लेकर पाकिस्तान का प्रस्ताव, भारत ने जताई आपत्ति

पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे को हल करने के लिए अमेरिका या किसी अन्य देश की मध्यस्थता का समर्थन किया है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने कहा कि उनका देश किसी भी ऐसे देश की मदद का स्वागत करेगा जो इस विवाद को सुलझाने में सहयोग कर सके।

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Ranjana Sharma
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: पाकिस्तान ने एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की वकालत की है। शुक्रवार को पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने कहा कि उनका देश अमेरिका सहित किसी भी तीसरे देश की मदद का स्वागत करेगा, जो कश्मीर विवाद को सुलझाने में भूमिका निभा सकता हो।

भारत ने कहा कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मामला 

इस्लामाबाद में आयोजित साप्ताहिक प्रेस वार्ता के दौरान खान ने कहा कि अगर अमेरिका या कोई और देश कश्मीर मुद्दे को स्थिर करने और समाधान की दिशा में मदद करना चाहता है, तो हम उसका स्वागत करते हैं। हालांकि भारत ने इस रुख को सख्ती से खारिज किया है। भारत का स्पष्ट मानना है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मामला है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं हो सकती। 1972 के शिमला समझौते के तहत भी दोनों देशों ने इस मुद्दे को द्विपक्षीय रूप से सुलझाने पर सहमति जताई थी।

अंतिम निर्णय भारत को लेना है

हाल ही में मई में सीमा पर हुए तनाव के बाद किसी प्रकार की बातचीत की संभावना पर पूछे गए सवाल के जवाब में पाकिस्तानी प्रवक्ता ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच इस मुद्दे पर कोई सीधा संपर्क नहीं हुआ है। हालांकि उन्होंने अमेरिका की मध्यस्थता की इच्छा को ‘सकारात्मक’ बताया। खान ने कहा, "हमारी कूटनीतिक नीति हमेशा से स्पष्ट रही है। हम समाधान के लिए बातचीत को तैयार हैं, लेकिन अंतिम निर्णय भारत को लेना है। इस समय दोनों देशों के बीच केवल नियमित राजनयिक संपर्क ही जारी हैं।

इन मुद्दों पर ही बात की संभावना

भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत केवल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) की वापसी और सीमा पार आतंकवाद के मुद्दों पर ही संभव है। इसके साथ ही पाक प्रवक्ता ने अफगानिस्तान से जुड़ी आतंकवादी गतिविधियों पर चिंता जताई और कहा कि पाकिस्तान ने यह मुद्दा कई बार अफगान नेतृत्व के समक्ष उठाया है। वहीं, यूक्रेन युद्ध में पाक नागरिकों की कथित संलिप्तता को उन्होंने 'बेबुनियाद' बताया और कहा कि इस बारे में यूक्रेन की ओर से कोई औपचारिक संवाद नहीं हुआ है।

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