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इजराइल-अमेरिका को 'झुकाने' वालों से पाकिस्तान ने लिया पंगा! जानें कौन हैं हूती विद्रोही? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । पाकिस्तान ने सऊदी अरब के साथ एक बड़ी रक्षा डील करके यमन के हूती विद्रोहियों से सीधा मोर्चा ले लिया है। यह एक चौंकाने वाला कदम है, क्योंकि हूती वो समूह है जिसने अमेरिका और इजराइल जैसे सुपरपावर देशों को भी घुटनों पर ला दिया है।
आखिर क्या वजह है कि आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने खुद को इस बड़े जोखिम में डाला है? लाल सागर पर हूतियों एक तरीके से कब्जा है और इस रास्ते से 35 लाख करोड़ का व्यापार पाकिस्तान का होता है।
आपको बता दें कि यमन के हूती विद्रोही मध्य-पूर्व के सबसे शक्तिशाली और खतरनाक समूहों में से एक हैं। इन्होंने अपनी ताकत और रणनीति से दुनिया को हैरान कर दिया है। पिछले कुछ सालों में उन्होंने अमेरिका और इजराइल की नाक में दम कर रखा है।
इजराइल और अमेरिका पर हूती हमले: मिसाइलों से अरबों का नुकसान
अमेरिका की हार: इस साल की शुरुआत में अमेरिका ने हूतियों के खिलाफ जंग का ऐलान किया था। लेकिन, जब हूतियों ने उसके 50 मिलियन डॉलर से ज्यादा के हथियार मार गिराए तो अमेरिका को मजबूरी में उनसे डील करनी पड़ी।
इजराइल पर मिसाइल अटैक: हूतियों ने इजराइल के खिलाफ लगातार मिसाइल हमले किए हैं। हिजबुल्लाह और हमास जैसे समूहों को कमजोर करने वाले इजराइल की कई कोशिशें भी हूतियों के सामने नाकाम रही हैं। इन हमलों से इजराइल का व्यापार प्रभावित हुआ है और उसके रक्षा खर्च में भी भारी बढ़ोतरी हुई है।
पाकिस्तान बनाम हूती: क्यों लिया इतना बड़ा रिस्क?
पाकिस्तान ने सऊदी अरब के साथ मिलकर हूतियों से दुश्मनी मोल ली है। सऊदी अरब और हूती के बीच दुश्मनी की जड़ सऊदी अरब और हूती विद्रोहियों के बीच दशकों से दुश्मनी चली आ रही है। हूती ईरान से समर्थन पाते हैं जबकि सऊदी अरब उनका कट्टर विरोधी है। पाकिस्तान का यह फैसला उसके लिए कई जोखिम लेकर आया है जो उसे भारी पड़ सकते हैं।
साल 1990 से 2013 तक चले यमन में गृहयुद्ध के बाद हूतियों ने राजधानी सना पर कब्जा कर लिया, जिससे सऊदी समर्थित सरकार को सत्ता छोड़नी पड़ी। इसके बाद से ही दोनों के बीच तनाव बना हुआ है। हूतियों ने कई बार सऊदी अरब के तेल ठिकानों पर हमला किया है। सऊदी-पाकिस्तान के बीच हुई नई डील को इसी दुश्मनी का विस्तार माना जा रहा है।
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हूतियों का लाल सागर पर कब्जा और 35 लाख करोड़ का व्यापार
लाल सागर में व्यापारिक नुकसान: लाल सागर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग है और इस पर हूतियों का दबदबा है। पाकिस्तान का लगभग 35 लाख करोड़ का व्यापार इसी रास्ते से होता है। हूतियों से पंगा लेने पर पाकिस्तान को सीधा व्यापारिक नुकसान हो सकता है।
ईरान से संबंध खराब होने का डर: हूतियों को ईरान का समर्थन हासिल है और ईरान पाकिस्तान का पड़ोसी है। हूतियों से टकराव की स्थिति में पाकिस्तान के ईरान से संबंध खराब हो सकते हैं।
दोनों देशों के बीच 900 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सीमा है जो तनाव बढ़ने पर बड़ी चुनौती बन सकती है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान ने यह कदम सऊदी अरब से मिलने वाली आर्थिक मदद के लालच में उठाया है।
क्या यह दांव सफल होगा? क्या पाकिस्तान खुद को मिडिल-ईस्ट के इस खतरनाक संघर्ष में नहीं झोंक देगा? आपका इस खबर पर क्या कहना है? क्या पाकिस्तान ने यह सही फैसला लिया है? नीचे कमेंट में अपनी राय जरूर दें!
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