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SCO Meeting के दौरान जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की मुलाकात

चीन के तियानजिन में आयोजित एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक के मौके पर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने द्विपक्षीय मुलाकात की। जानें इस मीटिंग की अहम बातें।

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Dhiraj Dhillon
External Affairs Minister Dr S Jaishankar and Russian Foreign Minister Sergei Lavrov
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक के मौके पर भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता हुई। इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी, क्षेत्रीय सुरक्षा, वैश्विक मुद्दों और बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की। यह बातचीत ऐसे समय में हुई जब वैश्विक स्तर पर यूक्रेन संकट और एशिया में बदलते समीकरणों को लेकर दुनिया भर की नजरें भारत और रूस जैसे रणनीतिक भागीदारों पर टिकी हैं।

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भारत-रूस संबंधों को मिला नया आयाम

बैठक के दौरान जयशंकर और लावरोव ने अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय घटनाक्रमों पर भी विचार साझा किए और SCO के भीतर सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। यह मुलाकात दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक मित्रता और विश्वास को और मजबूत करने की दिशा में एक और कदम मानी जा रही है। SCO बैठक की पृष्ठभूमि में हुई यह मुलाकात बहुपक्षीय कूटनीति में भारत की सक्रिय भूमिका को दर्शाती है। भारत और रूस दोनों ही एससीओ के सदस्य हैं और संगठन के जरिए एशियाई सहयोग और स्थिरता को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बता दें कि पिछले माह शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर बेनकाब करते हुए आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश दिया था। 

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क्या है शंघाई सहयोग संगठन (SCO)?

शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization - SCO) एक यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक, रक्षा और सुरक्षा संगठन है। इसकी स्थापना 2001 में चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान द्वारा की गई थी। भारत और पाकिस्तान वर्ष 2017 में SCO के पूर्ण सदस्य बने। इसके बाद ईरान (2023) और बेलारूस (2024) ने भी इस संगठन की सदस्यता प्राप्त की। SCO का मुख्य उद्देश्य तीन बुराइयों (आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद) से लड़ना है। हालांकि, अब तक SCO इस उद्देश्य को प्रभावी रूप से लागू करने में असफल रहा है। 

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