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Bangladesh विदेश मंत्रालय का बयान: सत्यजीत रे से जुड़ा घर नहीं ध्वस्त हो रहा

बांग्लादेश ने कहा कि मैमनसिंह में ध्वस्त हो रहा घर सत्यजीत रे या उनके पूर्वजों से नहीं जुड़ा है, भारत के पत्र पर दी गई यह आधिकारिक प्रतिक्रिया है।

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Dhiraj Dhillon
Satyajit Ray's house in Bangladesh

Photograph: (Google)

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ढाका, आईएएनएस।  Bangladesh news: बांग्लादेश में फिल्मकार सत्यजीत रे से जुड़े 200 साल पुराने पुश्तैनी घर को ध्वस्त करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। इस मामले में भारत सरकार ने हस्तक्षेप करते हुए बांग्लादेश को एक पत्र भेजा था। इस पर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का बयान सामने आया है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि बांग्लादेश में अभिलेखों की विस्तृत जांच से पुष्टि हुई है कि मैमनसिंह जिले में ध्वस्त की जा रही इमारत का प्रतिष्ठित बंगाली फिल्म निर्माता सत्यजीत रे या उनके पूर्वजों से कोई ऐतिहासिक या पारिवारिक संबंध नहीं है।

कहा- जमींदार शशिकांत ने कराया था निर्माण 

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के पत्र के अनुसार, ''बांग्लादेश सरकार ने कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और लेखक सत्यजीत रे की मैमनसिंह स्थित पैतृक संपत्ति, जो मूलरूप से उनके दादा प्रतिष्ठित साहित्यकार उपेंद्र किशोर रे चौधरी की थी, को बांग्लादेशी अधिकारियों द्वारा ध्वस्त किया जा रहा है। अभिलेखों की विस्तृत जांच से पता चला है कि संबंधित घर का सत्यजीत रे के पूर्वजों से कोई संबंध नहीं था। इसे स्थानीय जमींदार शशिकांत आचार्य चौधरी ने अपने कर्मचारियों के लिए अपने बंगले 'शशि लॉज' के बगल में बनवाया था।

जमींदारी उन्मूलन में सरकार का नियंत्रण हो गया 

जमींदारी प्रथा के उन्मूलन के बाद यह सरकार के नियंत्रण में आ गया। बाद में सरकार ने इसे बांग्लादेश 'शिशु अकादमी' को आवंटित कर दिया। उस समय से इस घर का उपयोग जिला शिशु अकादमी के कार्यालय के रूप में किया जा रहा है। यह जमीन स्वयं एक गैर-कृषि सरकारी (खास) जमीन थी और शिशु अकादमी को दीर्घकालिक आधार पर पट्टे पर दी गई थी।'' 

“अभिलेखों के अनुसार यह जमीन सरकारी है” 

जिला अधिकारियों ने घर से संबंधित भूमि अभिलेखों की समीक्षा की है और पुष्टि की है कि पिछले अभिलेखों के अनुसार यह जमीन सरकारी है। इसका सत्यजीत रे और उनके परिवार से कोई संबंध नहीं है। स्थानीय वरिष्ठ नागरिकों और विभिन्न समुदायों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने भी पुष्टि की है कि सत्यजीत रे परिवार और शिशु अकादमी को पट्टे पर दिए गए घर और जमीन के बीच कोई ज्ञात ऐतिहासिक संबंध नहीं है। यह घर पुरातात्विक स्मारक के रूप में भी सूचीबद्ध नहीं है। 

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उपेंद्र किशोर रे चौधरी अपना मकान पहले ही बेच चुके 

हालांकि, घर के सामने वाली सड़क (हरिकिशोर रे रोड) का नाम सत्यजीत रे के परदादा हरिकिशोर रे के नाम पर रखा गया है, जो सत्यजीत रे के दादा उपेंद्र किशोर रे चौधरी के दत्तक माता-पिता थे। रे परिवार का हरिकिशोर रे रोड पर एक घर था, जिसे उन्होंने बहुत पहले बेच दिया था और अब वह मौजूद नहीं है। नए मालिक ने वहां एक बहुमंजिला इमारत का निर्माण किया था। जिस इमारत को अब ध्वस्त किया जा रहा है, वह जीर्ण-शीर्ण, जोखिम भरी और अनुपयोगी थी। 

2014 में दूसरी जगह शिफ्ट कर दी गई थी अकादमी

2014 से अकादमी मैमनसिंह शहर में कहीं और किराए पर स्थानांतरित हो गई थी और परित्यक्त घर स्थानीय असामाजिक तत्वों द्वारा गैरकानूनी गतिविधियों का अड्डा बन गया। इसी कारण 2024 की पहली छमाही में साइट पर अर्ध-स्थायी इमारत के निर्माण की पहल की गई थी। बाद में उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए बांग्लादेश शिशु अकादमी ने जिला अधिकारियों को नीलामी के माध्यम से पुरानी, जीर्ण-शीर्ण इमारत को हटाने की अनुमति दी। नीलामी समिति के निर्णय के अनुसार, आम जनता को 7 मार्च 2025 को राष्ट्रीय और स्थानीय समाचार पत्रों के माध्यम से व्यापक रूप से सूचित किया गया था।

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