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Modi xi jinping putin
बीजिंग/नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।व्यापारिक अस्थिरताओं और आकार लेते नए वैश्विक गठबंधनों के बीच चीन का बंदरगाह शहर तियानचिन अगले दो दिनों तक वैश्विक आकर्षण का केंद्र रहेगा, क्योंकि यहां शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन आयोजित हो रहा है, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति पुतिन के बीच महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठकें होंगी। डोनाल्ड ट्रंप की मनमानी और एकतरफा टैरिफ नीति के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के शी चिनफिंग व रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली मुलाकात पर डोनाल्ड ट्रंप व अमेरिका की भी नजरें निश्चित लगी होंगी। यह शिखर सम्मेलन ऐसे वक्त में हो रहा है जब भारत और अमेरिका के संबंधों में काफी खटास आ चुकी है। उधर,सीमापार आतंकवाद के मुद्दे को पीएम मोदी उठाने वाले हैं। इससे पाकिस्तान की भी धुकधुकी बढ़ रही है।
बदले हालातों में होगी पीएम की शी जिनपिंग से मुलाकात
प्रधानमंत्री मोदी सात साल के लंबे अतंराल के बाद शनिवार की शाम को जापान से चीन पहुंचे। वर्ष 2018 में उनकी वुहान यात्रा, डोकलाम में चल रहे गतिरोध की पृष्ठभूमि में हुई थी। इस बार परिस्थितियां एकदम अलग हैं, क्योंकि भारत और चीन ट्रंप की व्यापार नीतियों से उत्पन्न वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल के मद्देनजर संबंधों को फिर से पटरी पर लाने के प्रयास कर रहे हैं रविवार को, प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति SCO शिखर सम्मेलन से इतर दो द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। अगले दिन, वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत करेंगे।
मोदी के लिए, शिखर सम्मेलन में शी जिनपिंग और पुतिन के साथ खड़े होना ट्रंप को भी एक स्पष्ट संदेश देगा। खासकर तौर पर बीते कुछेक हफ़्तों में, ट्रंप और उनके अधिकारियों ने यूक्रेन युद्ध के बीच रूसी तेल ख़रीद को लेकर भारत पर अपने हमले तेज़ कर दिए हैं। व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो ने तो यहां तक दावा किया कि यूक्रेन संघर्ष मूलतः "मोदी का युद्ध" था।
भारत, चीन ने रीसेट बटन दबाया
सबकी निगाहें मोदी और शी जिनपिंग के बीच बातचीत के नतीजों पर लगी होंगी। पिछले अक्टूबर में, प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग ने रूस के कज़ान में मुलाक़ात की थी। इससे उम्मीद जगी थी कि दोनों के बीच जमी बर्फ़ पिघल रही है। जबकि वे वर्षों से एक-दूसरे से, यहां तक कि बहुपक्षीय मंचों पर भी, बचते रहे थे। यह मुलाक़ात भारत और चीन द्वारा LAC पर शेष दो टकराव बिंदुओं से पीछे हटने पर सहमत होने के बाद हुई थी। बता दें कि 2020 में गलवान में सीमा पर हुई झड़पों के बाद एशियाई दिग्गजों के बीच संबंध अपने सबसे निचले पायदान पर पहुंच गए थे।
हालांक मई में भारत के आपरेशन सिंदूर के दौरान जिस तरह चीन ने पाकिस्तान की मदद की थी, उससे लग रहा था कि रिश्तों की यह बर्फ पिघलने वाली नहीं है, लेकिन वैश्विक हालात ने ऐसी करवट ली है कि अब नया वैश्विक गठबंधन तैयार हो रहा है।
दुश्मन की बजाय भागीदार के रूप में देखने का नजरिया
संबंधों में बदलाव को रेखांकित करते हुए, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस साल की शुरुआत में चीन-भारत संबंधों को "ड्रैगन-हाथी टैंगो" का रूप देने का आह्वान किया था ताकि उनके मूलभूत हितों की पूर्ति हो सके। पिछले हफ़्ते, चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान इसी सुलह के स्वर को दोहराया और पड़ोसियों से एक-दूसरे को "दुश्मन या ख़तरा" के बजाय "भागीदार" के रूप में देखने का आग्रह किया।
वांग यी की यात्रा के दौरान, दोनों पक्ष व्यापारिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सुगम बनाने के लिए सीधी उड़ानें और वीज़ा जारी करने पर सहमत हुए। उन्होंने निर्दिष्ट व्यापारिक बिंदुओं के माध्यम से सीमा व्यापार को फिर से खोलने का भी निर्णय लिया। SCO Summit 2025 | PM Modi Xi Jinping Putin talks | SCO meeting news | Modi China Meeting | Modi China Visit 2025 | Narendra Modi China Visit