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वाशिंगटन, वाईबीएन डेस्क। अपने बार-बार बदलते बयानों, टैरिफ रेट जैसे बेतुके आदेशों और अतार्किक फैसलों को लेकर दुनिया के नए 'दादा' बनने की कोशिश में लगे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ग्लोबल रेटिंग मूडीज ने बड़ा करंट लगाया है। Moody’sने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग को 106 साल बाद Aaa से घटाकर Aa1 कर दिया है। एजेंसी का यह कदम बढ़ते 36 ट्रिलियन डॉलर के कर्ज और फिस्कल घाटे के चलते उठाया गया। आउटलुक को 'नेगेटिव से बदलकर 'स्टेबल' किया गया है। इस निर्णय के बाद अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड्स की यील्ड में तेजी आई है। Moody’s का कहना है कि ट्रंप प्रशासन घाटे और ब्याज खर्च को नियंत्रित करने में नाकाम रहा है।
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका को ग्लोबल रेटिंग एजेंसी Moody’s Investors Service ने तगड़ा झटका दिया है। एजेंसी ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग Aaaसे घटाकर Aa1 कर दी है। साथ ही आउटलुक को नेगेटिव से स्टेबल में बदला गया है. Moody’s का यह फैसला अमेरिका के तेजी से बढ़ते कर्ज, लगातार भारी फिस्कल डेफिसिट और ब्याज भुगतान के बढ़ते दबाव को देखते हुए आया है. वर्तमान में अमेरिका पर कुल कर्ज 36 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है। america tariff | america news | america | DonaldTrump | 245% tariff Trump
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, मूडीज ने कहा कि लगातार अमेरिकी प्रशासन और कांग्रेस यह तय नहीं कर पाए हैं कि घाटे और ब्याज खर्चों को कैसे कंट्रोल किया जाए। यही कारण है कि अमेरिका की वित्तीय स्थिति धीरे-धीरे कमजोर हो रही है. गौरतलब है कि Moody’s अमेरिका की रेटिंग को 1919 से Aaa बनाए हुए थी। यह तीन प्रमुख रेटिंग एजेंसियों S\&P, Fitch, Moody’s में अंतिम थी जिसने अमेरिका की टॉप रेटिंग को डाउनग्रेड किया है.
मूडीज के इस फैसले के बाद अमेरिकी बांड यील्ड में तेजी देखी गई, 2-वर्षीय ट्रेजरी यील्ड बढ़कर 3.993 फीसदी पर पहुंच गई और 10-वर्षीय ट्रेजरी यील्ड भी बढ़कर 4.499 फीसदी हो गई है। इस रेटिंग कटौती से अमेरिका को कर्ज लेने की लागत बढ़ सकती है।
Moody’s का यह कदम अमेरिका की वित्तीय नीति और खर्चों पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। आने वाले समय में अगर अमेरिकी सरकार ने फिस्कल डेफिसिट और कर्ज पर कंट्रोल नहीं किया, तो इससे वैश्विक बाजारों में अस्थिरता और अमेरिका की आर्थिक स्थिति पर और दबाव आ सकता है। कहा जा रहा है कि ट्रंप जिस तरह से एक के एक बाद टैरिफ को लेकर फैसले ले रहे हैं, उसके पीछे मुख्य मकसद फिस्कल डेफिसिट और कर्ज को कंट्रोल करना है, लेकिन कहा जा रहा है कि विश्व का नया दादा बनने की कोशिश में जुटे ट्रंप आर्थिक मोर्च पर लगातार पिछड़ रहे हैं। वह किसीभी हालात में देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना चाहते हैं। सऊदी अरब और कतर की चार दिवसीय यात्रा के पीछेभी उनकी यह मकसद था।