वाईबीएन नेटवर्क।
9 महीने की लंबी अंतरिक्ष यात्रा के बाद, भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर आखिरकार आज धरती पर लौट आए हैं। इस ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद उनकी मेडिकल जांच चल रही है, विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरिक्ष में लंबा वक्त बिताने से शरीर पर कई तरह के प्रभाव पड़ सकते हैं। जानिए डॉक्टरों के अनुसार, स्पेस में इतने लंबे समय तक रहने से क्या-क्या स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
सुनीता विलियम्स के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर
ऑस्टियोपोरोसिस
स्पेस में गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। कैल्शियम की कमी से हड्डियों में फ्रैक्चर का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में सुनीता को अपनी हड्डियों का विशेष ख्याल रखना होगा।
मांसपेशियों की कमजोरी
ग्रेविटी न होने से मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। अंतरिक्ष यात्री अक्सर वापस आने के बाद चलने में दिक्कत महसूस करते हैं और उन्हें मांसपेशियों को फिर से मजबूत करने के लिए एक्सरसाइज करनी पड़ती है।
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दिल से जुड़ी समस्याएं
स्पेस में शरीर के ब्लड फ्लो में बदलाव आता है, जिससे हार्ट की मसल्स कमजोर हो सकती हैं। पृथ्वी पर लौटने के बाद दिल को दोबारा पृथ्वी के वातावरण में खुद को एडजस्ट करने में वक्त लगता है।
आई प्रॉब्लम
स्पेस में माइक्रोग्रैविटी के कारण आंखों पर असर पड़ सकता है, जिससे धुंधला दिखाई देना, आंखों में दबाव बढ़ना और सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
इम्यून सिस्टम की कमजोरी
स्पेस में शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है, जिससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इस कारण शरीर को पृथ्वी के नए वातावरण में ढलने में कुछ समय लगता है।
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नींद की समस्या
स्पेस में नींद के पैटर्न में बदलाव आता है, जिससे मानसिक तनाव, डिप्रेशन और थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं। पृथ्वी पर वापस आने के बाद भी पूरी तरह से सामान्य नींद में कुछ समय लगता है।