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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। America News:अमेरिका ने एक बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत 1 अगस्त, 2025 से लगभग 100 देशों से आयात पर 10% रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया जाएगा। यह कदम वैश्विक व्यापार नीति को रीसेट करने की दिशा में उठाया गया है। अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि यह बेसलाइन टैरिफ व्यापक रूप से लागू होगा, जिसमें वे देश भी शामिल हैं जो वर्तमान में अमेरिका के साथ टैरिफ को लेकर बातचीत कर रहे हैं।
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इंटरव्यू में बोले स्कॉट बेसेंट
बेसेंट ने ब्लूमबर्ग टेलीविजन से बातचीत में कहा, "अब देखना यह है कि राष्ट्रपति का रुख उन देशों के प्रति कैसा रहता है जो इस वक्त उनसे बातचीत कर रहे हैं। क्या वह इस बात से संतुष्ट हैं कि ये देश आपसी हितों को ध्यान में रखकर चर्चा कर रहे हैं? हम लगभग 100 देशों पर न्यूनतम 10% का रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने जा रहे हैं, और आगे यह दर बढ़ाई भी जा सकती है।"
12 देशों के टैरिफ दस्तावेज साइन कर चुके हैं ट्रंप
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इस बीच, Donald Trump ने संवाददाताओं से बात करते हुए खुलासा किया कि उन्होंने 12 देशों के लिए 'टेक इट ओर लीव इट' फ्रेमवर्क के तहत नए टैरिफ दरों वाले दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए हैं। इन देशों को औपचारिक प्रस्ताव सोमवार को भेजे जाने की उम्मीद है। हालांकि, ट्रंप ने इन देशों के नाम उजागर नहीं किए, लेकिन सूत्रों के अनुसार, इस सूची में भारत, जापान और यूरोपीय संघ के सदस्य शामिल हो सकते हैं।
भारत पर संभावित असर
भारत के लिए यह खबर बेहद अहम है, क्योंकि भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर वर्तमान में लगाया गया 26% टैरिफ 9 जुलाई को समाप्त हो रहा है। यदि इस समयसीमा तक कोई नया व्यापार समझौता नहीं होता, तो अगस्त 2025 से भारत को अपने निर्यात पर अधिक लागत वहन करनी पड़ सकती है। यह स्थिति भारत पर पहले से मौजूद आर्थिक दबाव को और बढ़ा सकती है।
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अमेरिकी प्रशासन ने क्या कहा
अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि ये टैरिफ अमेरिकी निर्यात के लिए अधिक अनुकूल व्यापारिक शर्तों को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किए गए हैं। यह कदम पिछले एक दशक में सबसे आक्रामक व्यापार पुनर्गठन में से एक माना जा रहा है, जिसका लक्ष्य वैश्विक व्यापार में संतुलन लाना है। इसमें दुनिया के लगभग आधे देशों को निशाना बनाया गया है। भारत के सामने अब एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है। अगर 9 जुलाई तक कोई ट्रेड डील नहीं होती, तो भारतीय निर्यात पर भारी टैरिफ का बोझ पड़ सकता है, जिसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी देखने को मिल सकता है।
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