नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। अमेरिका के सबसे अमीर शहरों में से एक लॉस एंजिल्स इस समय जबरदस्त विरोध प्रदर्शनों की चपेट में है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा अवैध प्रवासियों पर छापेमारी के बाद हालात इतने बिगड़ गए कि सेना तक तैनात करनी पड़ी। लॉस एंजिलिस काउंटी, जो 4000 वर्ग मील में फैला हुआ है, टेक सेक्टर, फैक्ट्रियों और सर्विस इंडस्ट्री में काम करने वाले लाखों प्रवासियों का घर है। यहां की एक तिहाई आबादी विदेशी मूल की है, और इनमें से 9 लाख से अधिक लोगों के पास जरूरी इमिग्रेशन दस्तावेज नहीं हैं।
क्यों मचा बवाल?
विवाद की शुरुआत तब हुई जब यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) अधिकारियों ने शुक्रवार को कई इलाकों में रेड डाली। ये छापेमारी मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में हुई जहाँ लैटिन अमेरिकी मूल के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। लॉस एंजिल्स सिर्फ हॉलीवुड और बेवरली हिल्स जैसे पॉश इलाकों के लिए नहीं, बल्कि प्रवासी समुदाय के लिए भी जाना जाता है। यहां की लगभग 27 प्रतिशत आबादी ऐसे लोगों की है जो अमेरिका के बाहर जन्मे हैं। कई घरों में अंग्रेजी नहीं, बल्कि स्पेनिश जैसी भाषाएं बोली जाती हैं।
दर्जनों प्रवासियों की गिरफ्तारी हुई
- स्थानीय लोगों ने विरोध में अंडे फेंके, एजेंसियों को घेरा
- सड़कों पर हजारों लोग प्रदर्शन के लिए उतरे
- लॉस एंजिलिस की संवेदनशील स्थिति
ट्रंप प्रशासन की सख्ती और जनता का गुस्सा
डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अवैध प्रवासियों के खिलाफ नीतियों में तेजी आई है। प्रशासन का दावा है कि बिना दस्तावेज़ वाले प्रवासियों की मौजूदगी आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है। वहीं, विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि यह कार्रवाई भेदभाव और नस्लीय लक्षित हमलों जैसी है।
अब क्या आगे होगा?
हालात को संभालने के लिए लॉस एंजिल्स में अतिरिक्त फोर्स और नेशनल गार्ड को अलर्ट पर रखा गया है। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले समय में यह मुद्दा अमेरिका की चुनावी राजनीति में भी बड़ा मोड़ ला सकता है।