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नई दिल्ली/ वॉशिंगटन, वाईबीएन डेस्क। भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता को बड़ा झटका लगा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर 1 अगस्त से 25% आयात शुल्क लगाने की घोषणा कर दी है, हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति ने अभी वार्ता जारी होने की बात भी कही है। ट्रंप का कहना है कि भारत द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएं इस फैसले का कारण हैं। इसके साथ ही अमेरिका ने भारत-रूस तेल संबंधों पर भी नाराजगी जताते हुए अतिरिक्त दंडात्मक कार्रवाई की बात कही है।
ट्रेड टारगेट अधर में, किसानों की आजीविका पर संकट
भारत और अमेरिका का लक्ष्य था कि 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाया जाए, लेकिन कृषि और डेयरी बाजार में अमेरिकी हस्तक्षेप की मांग इस प्रक्रिया की सबसे बड़ी बाधा बन गई है। भारत का रुख साफ है, कृषि और डेयरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) से बाहर रखा जाएगा, ताकि 1.4 अरब जनसंख्या में से लगभग आधी आबादी की आजीविका सुरक्षित रहे।
भारत की दो टूक: "किसानों की कीमत पर व्यापार नहीं"
अमेरिका चाहता है कि भारत मक्का, गेहूं, सोयाबीन और एथेनॉल जैसे कृषि उत्पादों पर टैरिफ घटाए। भारत का कहना है कि अमेरिकी किसान भारी सरकारी सब्सिडी पाते हैं (61,000 डॉलर/वर्ष), जबकि भारतीय किसान को औसतन केवल 282 डॉलर मिलते हैं। GM (जेनेटिकली मॉडिफाइड) फसलों पर भारत में प्रतिबंध है, लेकिन अमेरिका में GM आधारित उत्पादन आम है।
भारतीय उद्योगों की चिंता
- ऑटो, फार्मा और MSME सेक्टर ने बाजार को अचानक खोलने का विरोध किया है।
- उन्हें डर है कि अमेरिकी आयात उनकी प्रतिस्पर्धा को खत्म कर सकते हैं।
- भारतीय वाहन उद्योग और चिकित्सा उपकरण कंपनियों ने स्थानीय रोजगार पर खतरे का हवाला दिया है।
"भारत लगाता है अत्यधिक टैरिफ"
व्हाइट हाउस के मुताबिक, भारत कृषि उत्पादों पर औसतन 39% MFN टैरिफ वसूलता है, जबकि अमेरिका में यह दर सिर्फ 5% है। कई मामलों में भारत 50% तक शुल्क लगाता है, जिसे ट्रंप प्रशासन सबसे बड़ी बाधा मानता है।
भारत की स्थिति: “स्पष्ट प्रस्ताव नहीं मिला”
भारत ने कुछ हद तक ऊर्जा और रक्षा उत्पादों का आयात बढ़ाया है और सीमित टैरिफ कटौती की पेशकश भी की है, लेकिन नई दिल्ली का कहना है कि उसे अभी तक अमेरिका से कोई ठोस प्रस्ताव नहीं मिला है। साथ ही, ट्रंप की अस्थिर व्यापार नीति को लेकर भारत में चिंता है।
किसानों के मामले में क्यों पीछे हटता है भारत ?
कृषि का भारत की GDP में योगदान सिर्फ 16% है, लेकिन यह 50% आबादी की आजीविका का आधार है। मोदी सरकार ने जब कृषि कानून लागू किए थे, तो भारी विरोध के चलते उन्हें वापस लेना पड़ा था। अब अमेरिकी कृषि आयात से स्थानीय बाजार में कीमतें गिर सकती हैं और विपक्ष को मुद्दा मिल सकता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि भारत अमेरिका को कृषि बाजार में पहुंच देता है, तो उसे अन्य FTA साझेदारों को भी छूट देनी पड़ेगी, इससे भारत की समग्र व्यापार नीति असंतुलित हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता में कृषि, टैरिफ, और राष्ट्रीय हित सबसे बड़ी बाधाएं बनकर उभरी हैं। आने वाले दिनों में ये मसले दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों की दिशा तय करेंगे।
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