रांची, आईएएनएस।
मनी लॉन्ड्रिंग की आरोपी आईएएस पूजा सिंघल की किसी विभाग में पोस्टिंग पर रोक लगाने की मांग वाली ईडी की याचिका रांची के पीएमएलए कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने इस याचिका पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और सुनवाई पूरी होने के बाद 17 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में पीएमएलए कोर्ट ने माना है कि पोस्टिंग करने या न करने का अधिकार राज्य सरकार का है।
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पोस्टिंग करना राज्य सरकार का अधिकार
शुक्रवार को सुनाए गए फैसले में पीएमएलए कोर्ट ने माना है कि पोस्टिंग करने या न करने का अधिकार राज्य सरकार का है। इसमें कोर्ट की ओर से दखल नहीं दिया जाएगा। ईडी ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि पूजा सिंघल मनरेगा घोटाले से अवैध कमाई करने से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के केस में ट्रायल फेस कर रही हैं। जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद झारखंड सरकार ने उन्हें निलंबन मुक्त कर दिया है। अगर सरकार उन्हें किसी विभाग में पोस्टिंग देती है, तो वह केस से जुड़े सबूतों को प्रभावित कर सकती हैं। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी हवाला दिया गया था।
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पूजा सिंघल की याचिका रखा पक्ष
एजेंसी ने अदालत से मांग की है कि उन्हें किसी भी विभाग में पदस्थापित करने पर रोक लगाई जाए। ईडी की इस याचिका पर पूजा सिंघल के वकील ने उनका पक्ष रखा। झारखंड के खूंटी जिले में मनरेगा घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में करीब 28 महीने तक जेल में बंद रहने के बाद पूजा सिंघल को सितंबर 2024 में पीएमएलए कोर्ट से जमानत मिली थी। उन्हें भारत नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (बीएनएसएस 2023) के एक प्रावधान के तहत राहत मिली थी, जिसमें प्रावधान है कि अगर कोई आरोपी लंबे समय से जेल में बंद है और उसने उस मामले में दी जाने वाली कुल सजा की एक तिहाई अवधि जेल में बिता ली है, तो उसे जमानत दी जा सकती है।
कोर्ट ने दो-दो लाख रुपये के निजी मुचलके और पासपोर्ट जमा करने की शर्त पर जमानत दी थी। जमानत मिलने के बाद 21 जनवरी को राज्य सरकार के कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग ने उन्हें निलंबन मुक्त किया था। 19 फरवरी को राज्य सरकार ने पूजा सिंघल को सूचना प्रौद्योगिकी एवं ई-गवर्नेंस विभाग के सचिव के पद पर पदस्थापित किया है। उन्हें झारखंड कम्युनिकेशन नेटवर्क लिमिटेड के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी का भी अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
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