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Kanpur News: मासूमों संग मां को जिंदा जलाया, मकान मालकिन सिपाही के पति को उम्रकैद

कानपुर देहात में महिला सिपाही के पति ने सभासद की पत्नी और दो मासूम बच्चों को पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया। कोर्ट ने आरोपी को उम्रकैद और 5 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। यह खौफनाक घटना मामूली विवाद से शुरू हुई थी।

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Vibhoo Mishra
faisla
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कानपुर देहात, वाईबीएन संवाददाता।

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अकबरपुर में एक दिल दहला देने वाली वारदात का फैसला आ चुका है। नगर पालिका के तत्कालीन सभासद की पत्नी और दो मासूम बच्चों को जिंदा जलाने के जुर्म में अदालत ने महिला सिपाही के पति को आजीवन कारावास और पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। यह घटना फरवरी 2020 में हुई थी, जब आरोपी सभासद के मकान में किराए पर रहता था और मामूली कहासुनी के बाद उसने निर्दयता की सारी हदें पार कर दी थीं।

गंदगी फैलाने को लेकर हुआ था विवाद

अकबरपुर के नेहरू नगर में रहने वाले सभासद जितेंद्र कुमार ने अपने मकान का एक हिस्सा किराए पर दिया था, जहां आरोपी अवनीश प्रजापति अपनी पत्नी, जो अकबरपुर कोतवाली में सिपाही थी, के साथ रहता था। सभासद की पत्नी अर्चना, जो बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षिका थीं, ने कई बार अवनीश को घर में पान मसाला थूकने से मना किया था। लेकिन बार-बार चेतावनी मिलने से चिढ़े अवनीश ने 28 फरवरी 2020 की शाम खौफनाक कदम उठाया।

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पेट्रोल डालकर लगाई आग

उस दिन अर्चना अपनी 15 माह के बेटे हनु और 5 साल की बेटी अक्षिता के साथ किचन में थी, तभी अवनीश पेट्रोल की बोतल लेकर वहां पहुंचा और तीनों पर उड़ेलकर आग लगा दी। जब तक सभासद जितेंद्र ऊपर पहुंचे, उनकी पत्नी और बच्चे लपटों में घिरे तड़प रहे थे। अवनीश छज्जे से कूदकर भाग गया, लेकिन पुलिस ने उसे कुछ घंटों बाद ही गिरफ्तार कर लिया था। गंभीर रूप से झुलसे अर्चना और दोनों बच्चों ने अस्पताल में दम तोड़ दिया था।

कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा

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इस नृशंस हत्याकांड की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम रजत सिन्हा की अदालत में हुई। अभियोजन पक्ष ने घटना से जुड़े सभी साक्ष्य पेश किए और आरोपी को फांसी की सजा देने की मांग की। लेकिन अदालत ने 29 मार्च 2024 को फैसला सुनाते हुए अवनीश को आजीवन कारावास और पांच लाख रुपये के जुर्माने की सजा दी।

"पीड़ित परिवार को मिला न्याय"

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता प्रदीप पांडेय ने कहा, "यह घटना समाज के लिए खौफनाक सीख है। हमने पूरी कोशिश की थी कि आरोपी को फांसी की सजा मिले, लेकिन अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई। पीड़ित परिवार को न्याय मिला है, लेकिन यह जख्म कभी नहीं भर सकते।"

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इस घटना ने पूरे कानपुर देहात को झकझोर कर रख दिया था। मामूली विवाद किस तरह हैवानियत का रूप ले सकता है, यह घटना उसकी एक भयावह मिसाल बन चुकी है।

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