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Kanpur News : पुलिस-वकील अब बनेंगे दोस्त, यूपी के इस बड़े शहर में थमेगा जुर्म

इस मुहिम में थाना-चौकी से लेकर जोनल स्तर तक बीट पुलिसिंग को दुरुस्त करने के साथ अधिवक्ताओं और सभ्रांत नागरिकों से पुलिस सीधा रिश्ता जोड़ेगी। इसके साथ ही कचहरी की मुकम्मल सुरक्षा के लिए सीसीटीवी निगरानी पर रजामंदी हुई।

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YBN News Kanpur
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कानपुर, वाईबीएन ,संवाददाता। कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर नई पहल हुई है। अब अधिवक्ताओं के साथ टकराव का दौर समाप्त होने की उम्मीद है। पुलिस कमिश्नर ने वकीलों के साथ दोस्ती बनाकर अपराध रोकने और अपराधियों को सख्त सजा दिलाने के इरादे से नया अध्याय शुरू किया है। 

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 कानून के हाथ कानून के साथ

नाम दिया गया है – कानून के हाथ कानून के साथ....। इस मुहिम में थाना-चौकी से लेकर जोनल स्तर तक बीट पुलिसिंग को दुरुस्त करने के साथ अधिवक्ताओं और सभ्रांत नागरिकों से पुलिस सीधा रिश्ता जोड़ेगी। इसके साथ ही कचहरी की मुकम्मल सुरक्षा के लिए सीसीटीवी निगरानी पर रजामंदी हुई। तय किया गया कि कचहरी के आसपास पार्किंग की व्यवस्था और ट्रैफिक जाम को समाप्त करने के लिए उच्चस्तरीय कमेटी बनाकर पुख्ता समाधान निकाला जाएगा। 

पुलिसिंग का वॉट्सएप ग्रुप

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तमाम अधिवक्ताओं और बॉर एसोसिएशन के पूर्व—वर्तमान पदाधिकारियों की मौजूदगी में पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने बताया कि, कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने लिए बीट पुलिसिंग को नए सिरे से संवारा जाएगा। अब थाना-चौकी स्तर पर बीट पुलिसिंग का वॉट्सएप ग्रुप बनाकर बेदाग अधिवक्ताओं को शामिल किया जाएगा। ग्रुप में नाम जोड़ने में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए तय किया गया है कि, किसी नाम को जोड़ने के साथ अमुक अधिवक्ता-सभ्रांत नागरिक के घर पहुंचकर एक सेल्फी को अपलोड किया जाएगा। बाद में चौकी प्रभारी और थाना इंचार्ज संबंधित अधिवक्ता के घर दस्तक देकर रिश्तों को और भी ज्यादा पुख्ता करेंगे। श्री कुमार के मुताबिक, इस योजना को सिर्फ सात दिन में अमली जामा पहनाना जरूरी है। 

प्रतिष्ठित वकीलों के घर जाएंगे आला अधिकारी

बैठक में मौजूद एडिशनल पुलिस कमिश्नर हरीश चंदर ने बताया कि, बॉर एसोसिएशन और लायर्स एसोसिएशन के नामचीन पदाधिकारियों के साथ-साथ प्रतिष्ठित अधिवक्ताओं के घर दस्तक देने के लिए एडीसीपी और डीसीपी भी पहुंचेंगे। उन्होंने मौजूद एल्डर्स कमेटी को आश्वस्त किया कि, वह स्वयं भी मुलाकात करने आएंगे। उन्होंने बताया कि, कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस-वकील की कदमताम बेहद जरूरी है। 

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आम-धारणा है कि, काले कोट और खाकी वर्दी के बीच 36 का रिश्ता रहता है, अब जरूरत है कि टकराव के इस मिथक को तोड़ा जाए। चर्चा के दरमियान कचहरी की सुरक्षा के लिए तय किया गया कि, बॉर एसोसिएशन कचहरी परिसर को सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में रखने का प्रबंध करेगी। जवाब में बॉर अध्यक्ष इंदीवर बाजपेई ने बताया कि, फिलहाल चार कैमरों को लगाया गया है, जल्द ही दस कैमरों को स्थापित कराया जाएगा।

पार्किंग-ट्रैफिक जाम पर सुझावों की भरमार

पुलिस के साथ दोस्ती मुकम्मल होने की आस जागी तो समस्याएं बताना भी लाजिमी था। अधिवक्ताओं ने कचहरी में पार्किंग की समस्या को जोर-शोर से उठाया तो कमिश्नर ने सुझाव भी मांगे। बताया गया कि स्मार्ट सिटी योजना के तहत सरसैया घाट चौराहे के करीब 52 करोड़ की लागत से मल्टीस्टोरी पार्किंग निर्माणाधीन है, लेकिन वह नाकाफी होगी। पूर्व अध्यक्ष प्रमोद द्विवेदी ने कौशिक पार्क और रजिस्ट्री आफिस पार्क में भूमिगत पार्किंग का सुझाव दिया, जिसे पूर्व महामंत्री राकेश तिवारी ने कानूनी अड़चन बताकर खारिज कर दिया। 

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पूर्व महामंत्री आदित्य सिंह और कपिलदीप सचान ने वाद-सुनवाई के लिए मौजूदा व्यवस्था के विकेंद्रीकरण के सुझाव को संशोधित करते हुए आग्रह किया कि, एसीपी आफिस स्तर के बजाय सदर तहसील के साथ-साथ बिल्हौर तहसील और घाटमपुर तहसील परिसर में सामान्य मामलों की सुनवाई होनी चाहिए। चर्चा-परिचर्चा के दौर में पूर्व महामंत्री संदीप सिंह और अनूप द्विवेदी के साथ पूर्व अध्यक्ष रवींद्र शर्मा मौजूद थे। 

कमिश्नरेट आफिस से चेतना चौराहे तक वन-वे

ट्रैफिक जाम की समस्या को दुरुस्त करने के लिए कचहरी के मुख्य द्वार के सामने वन-वे को पुनः लागू करने की जरूरत जताई गई। पूर्व महामंत्री शरद शुक्ला ने ई-रिक्शा के संचालन पर रोक लगाने की जरूरत जताई तो पूर्व महामंत्री भानुप्रताप सिंह ने वन-वे को लागू करने पर जोर दिया। 

आखिरकार तय हुआ कि, अगले तीन-चार दिन जागरुकता अभियान चलाने के बाद वन-वे लागू किया जाएगा। नई व्यवस्था में कमिश्नरेट आफिस की तरफ से वाहन चेतना चौराहे की तरफ जाएंगे, लेकिन चेतना चौराहे से कचहरी आने वाले वाहनों को डीएम आफिस गेट से सामने से सरसैया घाट चौराहा घूमकर शताब्दी द्वार की तरफ आना होगा। वन-वे व्यवस्था सुबह दस बजे से शाम छह बजे तक लागू रहेगी। गौरतलब है कि, कचहरी मार्ग पर पहले भी वन-वे व्यवस्था लागू थी, लेकिन कतिपय कारणों से सफल नहीं हुई थी। 

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