कानपुर, वाईबीएन ससंवाददाता
भाजपा उत्तर के नवनियुक्त जिलाध्यक्ष अनिल दीक्षित फिलहाल अपनी किसी नई योजना पर कोई काम नहीं करने जा रहे हैं। उत्तर में भाजपा के ग्राफ को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए अपने पूर्ववर्ती नेताओं के कार्यों को ही आगे बढ़ाएंगे। उन्हीं के पदचिह्नों पर चलते हुए कार्यकर्ताओं को एकजुट करेंगे।
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मैं दीपू के साथ रहा, अब वे हमारे साथ रहेंगे
सोमवार को नवीन मार्केट स्थित कार्यालय पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि सबके सहयोग से आगे बढ़ेंगे। उनके साथ निवर्तमान जिलाध्यक्ष दीपू पांडे भी बैठे थे। उनकी ओर इशारा करते हुए बोले- पक्की दोस्ती है। आगे भी बनी रहेगी। जैसे हर जरूरत पर मैं दीपू जी के साथ खड़ा होता था, अब वे हमारे साथ नजर आते रहेंगे। इन्हीं के कामों को आगे ले जाना है।
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सोचा भी नहीं था कि बनूंगा अध्यक्ष
गुटबाजी और विरोध के सवाल पर नवनियुक्त जिलाध्यक्ष ने कहा कि कहीं कोई विरोध नहीं है। यह इस बात का प्रमाण है कि पूरे देश में जिलाध्यक्षों का चुनाव शांति से निपटा है। आगे कहा- मुझे तो अंदाजा भी नहीं था कि जिलाध्यक्ष बन जाऊंगा। अब पार्टी ने नई जिम्मेदारी दी है तो उसे पूरी निष्ठा और लगन के साथ निभाऊंगा।
पार्टी कार्यालय पर हुआ जोरदार स्वागत
भाजपाइयों ने नवनियुक्त जिलाध्यक्ष का सोमवार को नवीन मार्केट कार्यालय में ढोल नगाड़ों के बीच फूल मालाओं से जोरदार स्वागत किया। अनिल दीक्षित का टेंपो हाई कर रहे कार्यकर्ताओं में नया जोश साफ दिख रहा था। कार्यकर्ता ढोल नगाड़ों की थाप पर नाचते हुए चल रहे थे। इस बीच अनिल दीक्षित भी हर किसी से बड़ी आत्मीयता के साथ मिलते चल रहे थे।
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पुराने कामों का मिला इनाम
कानपुर उत्तर जिले में नए अध्यक्ष बनाए गए अनिल दीक्षित पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं। पदाधिकारी के रूप में कई जिम्मेदारियां भी संभाल चुके हैं, जिसका लाभ उन्हें इस बार मिला।
पिछली बार दीपू से पिछड़े थे
जिलाध्यक्ष की रेस में पिछली बार अनिल दीक्षित का नाम ऊपरी क्रम पर चल रहा था लेकिन आखिरी मौके पर दीपू पांडेय बाजी मार ले गए थे परंतु इस बार अनिल दीक्षित उन पर भारी पड़े। वहीं, दीपू पांडेय के विरोध में सीसामऊ विधानसभा उपचुनाव की हार के साथ ही सदस्यता अभियान की धीमी चाल भी भारी पड़ने की बात कही जा रही है।
अब करनी होगी और मेहनत
भाजपा उत्तर के जिलाध्यक्ष अनिल दीक्षित को कार्यकर्ताओं में पकड़ बनाने के लिए विशेष मेहनत करनी पड़ेगी। पार्टी में 35 साल पुराने कार्यकर्ता और ब्राह्मण होने के नाते उनकी पहचान तो है लेकिन उत्तर जिले को चलाने के लिए कार्यकर्ताओं के बीच पकड़ बनाने में उन्हें समय लग सकता है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक सांसद रमेश अवस्थी और क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल का करीबी होना इसके पीछे बड़ा कारण बताया जा रहा है।