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शहर के सांसद रमेश अवस्थी ने गुरुवार को लोकसभा में एक बार फिर यहां बंद पड़ीं बीआईसी (ब्रिटिश इंडिया कॉर्पोरेशन) और एनटीसी (नेशनल टेक्सटाइल कॉर्पोरेशन) की मिलों का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने कहा कि इन मिलों की इन इमारतें खंडहर में तब्दील हो रही हैं। यह कानपुर के माथे पर कलंक है। इसे मिटाया जाए। या तो बंद मिलों को चालू किया जाए या फिर इनकी जगह रोजगार दे सकने वाले अन्य उद्योग की स्थापना की जाए। कभी उद्योगों के लिए मेनचेस्टर कहा जाने वाला कानपुर, मिलें चालू होने से अपने पुराने गौरव को फिर प्राप्त कर लेगा।
कानपुर की शान हुआ करती थीं यहां की मिलें
गुरुवार को संसद के लोकसभा सत्र के दौरान कानपुर के सांसद रमेश अवस्थी ने कानपुर की बंद पड़ी मिलों का मुद्दा उठाया। कहा कि कभी कानपुर देश का प्रमुख औद्योगिक नगर हुआ करता था। यह शहर पूरे भारत में पांचवें स्थान पर अपनी औद्योगिक पहचान रखता था। यहां की धुआं उगलती चिमनियां, काम करती मिलें और मेहनतकश श्रमिकों की जीवंतता कानपुर की शान हुआ करती थीं लेकिन समय के साथ ये मिलें एक-एक कर बंद होती चली गईं और आज यह ऐतिहासिक उद्योग ध्वस्त होने की स्थिति में पहुंच गया है।
कानपुर के बाशिंदों को खमोशी से चिढ़ातें हैं मिलों के खंडहर
श्री अवस्थी ने कहा कि बीआईसी और एनटीसी की एक दर्जन से अधिक मिलें आज खंडहर बन चुकी हैं, जो कानपुर के लगभग 60 लाख निवासियों को खामोशी से चिढ़ा रही हैं। ये कानपुर पर लगा बदनुमा धब्बा है। मिलें चालू कराके इसे धोने की जरूरत है।
सरकार से निवेदन, लौटाएं कानपुर की औद्योगिक पहचान
उन्होंने सदन के माध्यम से केंद्र सरकार से निवेदन किया कि कानपुर के औद्योगिक स्वरूप को पुनर्जीवित किया जाए। उन्होंने आग्रह किया कि जो मिलें तकनीकी व आर्थिक रूप से पुनः चालू की जा सकती हैं, उन्हें दोबारा शुरू कराया जाए, जिससे न केवल शहर की औद्योगिक पहचान लौटेगी, बल्कि हजारों युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।
जो मिलें नहीं चल सकतीं, वहां बना दें रोजगार देने वाले संस्थान
साथ ही, श्री अवस्थी ने यह भी सुझाव दिया कि जो मिलें किसी कारणवश पुनः चालू नहीं की जा सकतीं, उनकी जमीन का उपयोग आईटी हब, स्टार्टअप इनक्यूबेशन सेंटर या अन्य रोजगारपरक संस्थानों की स्थापना के लिए किया जाए। इससे कानपुर के युवाओं को उनके शहर में ही रोजगार और विकास के अवसर प्राप्त होंगे।
उठाता रहूंगा आवाज क्योंकि कानपुर का भविष्य स्मृतियों में नहीं, पुनर्निर्माण में छिपा है
सांसद ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस मुद्दे को लेकर सिर्फ सदन में ही नहीं, बल्कि सरकार से संवाद के माध्यम से भी समाधान की दिशा में प्रयासरत रहेंगे। उन्होंने कहा कि कानपुर का भविष्य केवल स्मृतियों में नहीं, बल्कि पुनर्निर्माण में छिपा है।