वाईबीएन नेटवर्क।
बदलता मौसम सिर्फ सर्दी-जुकाम, खांसी या बुखार लेकर नहीं आता, इसके साथ कुछ और भी आता है, जो अक्सर हमारी नज़र से छूट जाता है। नींद की गड़बड़ी। हां, आपने सही पढ़ा। जैसे ही मौसम करवट लेता है चाहे गर्मी से बरसात हो या सर्दी से वसंत हमारे शरीर की नींद की आदतें भी कहीं न कहीं प्रभावित होती हैं।
कई लोगों को अचानक महसूस होता है कि नींद टूट-टूट कर आ रही है, सुबह थकान बनी रहती है या देर रात तक नींद ही नहीं आती। और हम सोचते हैं कि शायद कोई तनाव होगा। लेकिन असल में यह मौसम के बदलाव का सीधा असर हो सकता है।
मौसम बदलने पर दिन की रोशनी और तापमान में जो उतार-चढ़ाव आता है, वह हमारे शरीर के सर्केडियन रिदम यानी बायोलॉजिकल क्लॉक को डिस्टर्ब करता है। नतीजा - नींद का समय, क्वालिटी और गहराई तीनों प्रभावित हो जाते हैं। खासतौर पर जो लोग पहले से ही नींद की समस्या (जैसे इनसोम्निया) से जूझ रहे होते हैं, उनके लिए ये बदलाव और भी भारी पड़ सकते हैं।
अब बात करें असर की। नींद की कमी कोई मामूली बात नहीं है। ये धीरे-धीरे आपकी एकाग्रता, मूड, और इम्यून सिस्टम को प्रभावित करती है। और जब आप दिन भर चिड़चिड़े, थके हुए या सुस्त महसूस करते हैं, तो जाहिर है कि बाकी शारीरिक बीमारियों की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है।
तो करना क्या है?
सबसे पहले, नींद को लेकर सतर्क हो जाइए। रात को सोने से एक घंटे पहले स्क्रीन टाइम बंद करें, हल्का खाना खाएं और एक रिलैक्सिंग रूटीन अपनाएं, जैसे हल्का संगीत या किताब पढ़ना। कमरे का तापमान और रोशनी भी अहम है। मौसम चाहे जैसा हो, शरीर को एक स्थिर रूटीन की ज़रूरत होती है।
बदले मौसम में जब सब लोग सर्दी-खांसी की दवा ढूंढ रहे होंगे, आप अगर अपनी नींद को दुरुस्त कर लें, तो यकीन मानिए आप आधी बीमारियों से खुद-ब-खुद बचे रहेंगे।
क्योंकि अच्छी नींद, अच्छा मौसम बना देती है - चाहे बाहर ठंड हो या गरमी।