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गायिका किंजल दवे ने किए महाकाल के दर्शन, भस्म आरती में हुईं शामिल

गायिका और अभिनेत्री किंजल दवे बुधवार को उज्जैन स्थित बाबा महाकाल के द्वार पहुंचीं, जहां उन्होंने महाकाल के दर्शन किए और भस्म आरती में शामिल हुईं। गुजराती गायिका महाकाल की भक्ति में डूबी नजर आईं।  

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YBN News
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kinjalmahakal Photograph: (ians)

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Lifestyle: गायिका और अभिनेत्री किंजल दवे बुधवार को उज्जैन स्थितबाबा महाकालके द्वा हुंचीं, जहां उन्होंने महाकाल के दर्शन किए और भस्म आरती में शामिल हुईं। गुजराती गायिका महाकाल की भक्ति में डूबी नजर आईं।  

महाकालेश्वर की साधना

किंजल दवे ने नंदी हॉल में बैठ भगवान महाकालेश्वर की साधना की। चांदी द्वार से दर्शन पूजन कर उन्होंने भगवान का आशीर्वाद लिया। श्रीराम पुजारी ने पूजन सम्पन्न करवाया। उन्होंने भगवान महाकालेश्वर के दर्शन के बाद खुशी जाहिर की।

दर्शन-पूजन के पश्चात गायिका ने मंदिर समिति और मध्य प्रदेश सरकारको धन्यवाद देते हुए कहा कि वह बाबा के मंदिर पहली बार आई हैं और उन्हें अच्छे से दर्शन हुए। उन्होंने कहा कि मैं भगवान महाकालेश्वर के दर्शन कर काफी खुश हूं। मैं यहां पहली बार आई हूं, पहली बार भस्म आरती में शामिल होकर काफी खुशी मिली है। बाबा का आशीर्वाद सभी पर बना रहे। पुजारी श्रीराम ने गायिका को नीले रंग का पटका प्रसाद स्वरूप भेंट किया।


बता दें, किंजल दवे महाकाल पर भक्ति गीत 'जिसे मोह न माया जाल का वो भक्त है महाकाल का' भी गा चुकी हैं।
कई गुजराती फिल्मों में गाने गा चुकीं किंजल दवे का जन्म गुजरात के पाटण जिले में हुआ है। गायन के साथ ही किंजल अभिनय में भी निपुण हैं, वह कुछ फिल्मों में अभिनय भी कर चुकी हैं। किंजल दवे गायिका और अभिनेत्री के साथ ही राजनीति में भी सक्रिय हैं। वह भारतीय जनता पार्टी से जुड़ी हैं।

महाकाल दर्शन को पहुंचने वाले सितारे

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महाकाल के दर्शन को उज्जैन पहुंचने वाले सितारों की लिस्ट काफी लंबी हो चुकी है। 30 मार्च को अभिनेता विंदु दारा सिंह महाकाल के दर्शन किए और भस्म आरती में भी शामिल हुए। उनके साथ परिवार के सदस्य भी मौजूद रहे।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार

महाकालेश्वर मंदिर में होने वाली भस्म आरती लोकप्रिय है और इसमें शामिल होने के लिए दुनियाभर से श्रद्धालु उज्जैन आते हैं। भस्म आरती का काफी पौराणिक महत्व है। आरती में श्मशान से लाई गई चिता के भस्म से भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है। चिता भस्म के अलावा इसमें गोहरी, पीपल, पलाश, शमी और बेल के लकड़ियों की राख को भी मिलाया जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भस्म आरती के दौरान महिलाएं सिर पर घूंघट या ओढ़नी डाल लेती हैं। मान्यता है कि उस वक्त महाकालेश्वर निराकार स्वरूप में होते हैं इसलिए महिलाओं को आरती में शामिल न होने और न ही देखने की अनुमति होती है।

आईएनएस।

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