अभिनेता कुमुद मिश्रा के थिएटर ड्रामा 'सांप सीढ़ी' को दर्शकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। उन्होंने न्यूज एजेंसी से बात की और कहा है कि टेक्नोलॉजी के युग में भी कला खत्म नहीं हो सकती। जब तक आपके पास कहने के लिए कहानी है, तब तक कला प्रासंगिक बनी रहेगी।
कला की बदलती स्थिति
आद्यम थिएटर द्वारा प्रस्तुत नाटक 'सांप सीढ़ी' के अभिनेता का मानना है कि जब तक आपके पास कहने के लिए कहानी है, तब तक कला खत्म नहीं हो सकती। इसके साथ ही उन्होंने नए शो, काम के प्रति अपने नजरिए और कला की बदलती स्थिति के बारे में भी बात की।
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लाइव आर्ट फॉर्म की प्रासंगिकता
उन्होंने बताया, "मैं बचपन से सुनता आ रहा हूं कि थिएटर खत्म हो रहा है - कहां? यह कभी नहीं हो सकता। बस इसका स्वरूप बदल गया है। थिएटर फेस्टिवल बड़े हैं, थिएटर ग्रुप बड़े हैं, थिएटर स्पेस बड़े हैं, दर्शक बड़े हैं। जब तक आपके पास कहने के लिए कहानी है, तब तक कोई भी कला जीवित रहेगी और लाइव आर्ट फॉर्म की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है क्योंकि आज के समय में हम मोबाइल में व्यस्त हैं। थिएटर एक ऐसी जगह है जहां आप लाइव परफॉर्मेंस और भावनाओं को महसूस कर सकते हैं।"
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आलोचना को स्वीकार करना होगा
'सांप सीढ़ी' में अपने किरदार के बारे में उन्होंने कहा, " इसमें मेरे किरदार का नाम अनिल वाधवा है। वह एक अभिनेता, निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक भी है, जो फिल्में बनाता है। वह स्वार्थी और थोड़ा बुरा इंसान भी है। मैंने महसूस किया है कि आप जो भी भूमिका पर्दे पर निभाते हैं, उसमें आपके स्वभाव का कुछ हिस्सा चला जाता है, कौन सा हिस्सा, यह मुझे नहीं पता।“
अभिनेता ने यह भी कहा कि वह अपने काम में आलोचना का स्वागत करते हैं, क्योंकि इससे उन्हें अपने प्रदर्शन को और बेहतर बनाने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा, "यह आपके पेशे का हिस्सा है। आलोचना का भी बहुत स्वागत है, क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि आप हर बार अच्छा काम करें। आपको आलोचना को स्वीकार करना होगा।"
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ड्रामा अच्छा तो उसमें एक अभिनेता भी पर्याप्त
थिएटर को एक सहज माध्यम बताते हुए मिश्रा ने 'सांप सीढ़ी' के निर्माण के दौरान आई चुनौतियों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, "अगर आपके पास कहानी है और उसे कहने की क्षमता है, तो लोग मनोरंजन को स्वीकार करते हैं। हमने 'पांच दाने चीनी' नाटक किया, जिसे बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली। अगर ड्रामा अच्छा है, तो उसमें एक अभिनेता भी पर्याप्त है और कमजोर कहानी के साथ एक खराब नाटक में 25 अभिनेता भी सही काम नहीं कर सकेंगे।“
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सफलता का कोई मंत्र नहीं
उन्होंने आगे बताया, "मैंने कई सालों तक रियाज किया है, मैंने थिएटर किया और वहीं से सीखा है। यह हमारा काम है और इसे करने के लिए आपको शरीर, मन के साथ काम करना होगा। कब क्या भावना दिखानी है, इस पर नियंत्रण होना चाहिए। भले ही आप इसे महसूस न कर रहे हों, आपको इसे महसूस करना चाहिए।"
अभिनेता को यह भी लगता है कि सफलता का कोई मंत्र नहीं है, अगर होता तो असफलता कभी नहीं होती। उन्होंने कहा, "आपको पता होना चाहिए कि आप क्या करना चाहते हैं, क्यों करना चाहते हैं। फोकस होना चाहिए। सफलता और असफलता दोनों ही चीजें एक दूसरे से जुड़ी हैं। आप वह काम करना चाहते हैं या नहीं, यह ज्यादा महत्वपूर्ण है। मैं लोगों को अपनी तारीफ करवाने के लिए ड्रामा नहीं करता, बल्कि खुद को एक्सप्लोर करने के लिए करता हूं।"
उन्होंने 'रॉकस्टार' में बॉलीवुड सुपरस्टार रणबीर कपूर और फिल्ममेकर इम्तियाज अली के साथ काम करने के अपने अनुभव के बारे में भी बताया। अभिनेता ने कहा, " ‘रॉकस्टार’ में काम करने का अनुभव शानदार था। रणबीर बेहतरीन अभिनेताओं में से एक हैं और इम्तियाज अली एक बेहतरीन निर्देशक हैं। उन्होंने 'चमकीला' भी बनाई है, जो एक बेहतरीन फिल्म है। उन्होंने मुझे 'डॉक्टर अरोड़ा' नामक एक वेब सीरीज में भी कास्ट किया, जिसे उन्होंने खुद प्रोड्यूस किया था।"
आईएएनएस।